मॉडर्ना वैक्सीन को भारत में आयात करने की DCGI ने दी मंजूरी

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नई। देश में टीकाकारण अभियान जोर-शोर से जारी है। ऐसे में कई विदेशी वैक्सीन को मंजूरी देने की प्रक्रिया चल रही है। भारत में सिप्ला कंपनी की मॉडर्ना वैक्सीन को आपातकालीन उपयोग के लिए आयात करने की DCGI (ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया) ने मंजूरी दी। केंद्र सरकार इस बारे में जल्द घोषणा करेगी। मॉडर्ना भारत में उपयोग की जाने वाली चौथी वैक्सीन है, जिसे डीसीजीआइ ने मंजूरी दी है। उम्मीद है कि अमेरिका में विकसित की गई फाइजर को भी भारत में जल्द मंजूरी मिल जाएगी।

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सिप्ला कंपनी ने DCGA (ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया) को अपने आवेदन में विदेशी टीकों के लिए क्लिनिकल ट्रायल से छूट देने के लिए सरकार के फैसले का उल्लेख किया था। इसे अमेरिका जैसे देशों में आपातकालीन उपयोग के लिए पहले ही मंजूरी दे दी है। टीकाकरण में पहले 100 लाभार्थियों को सुरक्षा मूल्यांकन डेटा चेक किया जाएगा। मॉडर्ना वैक्सीन को फाइजर वैक्सीन की तरह कोविड के खिलाफ 90 फीसदी कारगर बताया जा रहा है।

mRNA तकनीक पर आधारित है मॉडर्ना वैक्‍सीन

फाइजर की तरह मॉडर्ना एक एमआरएनए टीका है, जिसमें अनुवांशिक सामग्री के टुकड़े होते हैं जिन्हें मैसेंजर आरएनए कहा जाता है। वैक्सीन कोशिकाओं को अस्थायी निर्देश देकर कोरोना स्पाइक प्रोटीन बनाने का काम करती है। प्रोटीन कोविड वायरस की सतह पर पाया जाता है।

ज्ञात हो कि भारत में अब तक तीन वैक्‍सीन को ही इस्‍तेमाल की इजाजत मिली है। इसमें भारत में विकसित की गई कोवैक्‍सीन और सीरम इंस्टीट्यूट और ऑक्सफोर्ड व ऑस्ट्रेजेनिका की संयुक्त रूप से कोविशील्‍ड वैक्सीन के अलावा रूस में विकसित की गई स्‍पूतनिक v वैक्‍सीन भी शामिल है। मॉडर्ना वैक्‍सीन को भी आपात स्थिति में इस्‍तेमाल की इजाजत मिलने से भारत का टीकाकरण अभियान तेजी से आगे बढ़ेगा जाएगा।

भारत में ट्रायल से मिली छूट

इसी महीने ड्रग नियामक डीसीजीआई ने भारत में कोविड वैक्‍सीन की कमी को देखते हुए एक बड़ा फैसला लिया था। इसके तहत जारी एक नोटिस में डीसीजीआई की तरफ से कहा गया था कि ऐसी वैक्‍सीन, जिसको अमेरिकी एफडीए या विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन से आपात सेवा में इस्‍तेमाल के लिए मंजूरी मिल चुकी है उसका भारत में ट्रायल नहीं किया जा सकेगा। डीसीजीआई ने अपने फैसले में उन वैक्‍सीन को भी ट्रायल से छूट प्रदान की थी, जिनको लाखों लोगों को लगाया जा चुका है।

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