देहरादून: (चंदन कुमार झा) देश में कोरोना के मामले अब लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं (Corona affected country)। कोरोना का आंकड़ा 48 लाख के पार पहुंच गया है. बीते 24 घंटे में कोरोना के 92 हजार 71 नए मामले सामने आए हैं. तो वहीं एक दिन में कोरोना से 1 हजार 136 लोगों की मौत हो गई.
भारत में कैसे बढ़े कोरोना (Corona affected country)के मामले?
30 जनवरी पहला केस
19 मई 1 लाख केस
17 जुलाई 10 लाख केस
23 अगस्त 30 लाख केस
14 सितंबर 48 लाख से ज्यादा केस
कोरोना महामारी ने भारत में आहिस्ता-आहिस्ता पाँव पसारना शुरू किया था. लेकिन संक्रमण का पहला पुष्ट मामला दर्ज होने के छह महीने बाद वो रूस को पीछे छोड़कर संक्रमितों के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे अधिक कोरोना प्रभावित देश बन गया है।
भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है
यहाँ शहरों में घनी आबादी रहती है. ऐसे में शायद इसकी आशंका अधिक है कि भारत कोरोना वायरस महामारी का ग्लोबल हॉटस्पॉट बन जाये। लेकिन कोरोना संक्रमण और इस महामारी से मरने वालों के जो आंकड़े दिये जा रहे हैं, उस पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि भारत में कोविड टेस्टिंग उस पैमाने पर नहीं हो रही और महामारी से जितनी कम संख्या में लोगों की मौतें हुई हैं।
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हाल के दिनों में भारत में कई बार रिकॉर्ड संख्या में संक्रमण के मामले दर्ज किये गए हैं. दसियों हजार मामले रोजाना के हिसाब से रिपोर्ट किये जा रहे हैं और ऐसा कई दिनों से हो रहा है।भारत में कोरोना संक्रमण के सबसे अधिक पुष्ट मामले जून में दर्ज किये गए. बेहद सख्ती से लागू किये गए लॉकडाउन को खोलने के कुछ ही हफ्तों के भीतर ये हुआ।
जुलाई में तो ये बढ़कर रोजाना 20 हजार से भी ज्यादा हो गए।
नौ जुलाई तक भारत में कोरोना संक्रमण के कुल 7 लाख 67 हजार 296 मामले दर्ज किये गए। भारत इस समय दुनिया का दूसरा ऐसा देश है जहाँ कोरोना संक्रमण सबसे ज्यादा लोगों में पाया गया है। सरकार ने मई के महीने में बेतरतीब तरीके से छांटे गए 26 हजार लोगों का कोरोना टेस्ट कराया था जिससे पता चला कि 0.73 फीसदी लोग संक्रमित थे।
किसी भी देश में कोरोना संक्रमण के जितने मामले आधिकारिक रूप से रिपोर्ट हुए हैं और असल में वहाँ संक्रमण के कितने मामले हैं, इसे लेकर हरेक जगह पर फर्क देखा जा सकता है, लेकिन इसके पैमाने में अंतर है।
13 मार्च के बाद एक करोड़ से ज्यादा सैंपल का कोरोना टेस्ट
टेस्टिंग ही केवल वो तरीका है जिससे इस फासले को पाटा जा सकता है। भारत में हाल के हफ्तों में यही देखा गया, जैसे ही सरकार ने टेस्टिंग सुविधा का विस्तार किया, संक्रमण के मामले अचानक तेजी से बढ़े (Corona affected country)। भारत में 13 मार्च के बाद एक करोड़ से ज्यादा सैंपल का कोरोना टेस्ट किया गया लेकिन इनमें से आधे से अधिक टेस्टिंग एक जून के बाद की गया। भारत में टेस्टिंग पर्याप्त रूप से नहीं हो रही है।
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संख्या के लिहाज से भारत में कोरोना संक्रमण के मामले अधिक हैं. लेकिन आबादी के अनुपात से संक्रमण के मामलों को देख सकते है। अगर भारत में कोरोना का बढ़ना लगातार जारी रहता है तो इसकी वजह यही होगी कि भारत में टेस्टिंग अभी भी ज्यादा जोखिम वाले लोगों और उनसे संपर्क में आने वाले लोगों के एक छोटे से तबके में ही की जा रही है।
भारत में ठीक होने वाले लोगों का अनुपात बेहतर
वहीं आंकड़ें बताते हैं कि भारत में जितने लोग कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं या फिर इस महामारी के कारण मर रहे हैं, उससे ज्यादा लोग संक्रमित होने के बाद ठीक हो रहे है। कोरोना महामारी से बुरी तरह से प्रभावित देशों की तुलना में भारत में ठीक होने वाले लोगों का अनुपात बेहतर है. ये अनुपात बेहतर होना अच्छी बात है क्योंकि इसका मतलब ये हुआ कि भारत में कोरोना संक्रमित लोग अन्य देशों की तुलना में जल्दी ठीक हो रहे हैं।
वहीं इन सबके बीच कोरोना वैक्सीन ट्रायल पर खुशखबरी भी सामने आ रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के अनुसार मार्च 2021 तक कोरोना की वैक्सीन आ सकती है। लेकिन इसकी तारीख तय नहीं है. डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि वैक्सीन सबसे पहले उन्हें दी जाएगी, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत होगी।