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मऊ। इसे भारतीय लोकतंत्र की मजबूती और अंत्योदय की साधना का एक और उदाहरण ही कह सकते हैं। घोसी विधानसभा के उपनिर्वाचन में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार विजय राजभर की पारिवारिक पृष्ठभूमि कोई राजनीतिक नहीं। उनके पिता नगर के आजमगढ़ रोड ओवरब्रिज के नीचे ठेले पर सब्जी की दुकान लगाते हैं। एक सब्जी विक्रेता के पुत्र को विधानसभा का टिकट मिलने से मुहल्ले के लोगों में काफी उत्साह था।
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पैरों को पकड़क कर फूट-फूट कर रोने लगे
सोमवार को जब कलेक्ट्रेट में नामांकन के पूर्व नगर के आरएस प्लाजा में नामांकन जुलूस का कार्यक्रम था। मुहल्ले वाले फूल-माला लेकर विजय का स्वागत करने व आशीर्वाद देने वहां पहुंच गए। लोगों के साथ भीड़ मेें विजय के पिता भी बेटे को आशीर्वाद देने हाथ में माला लेकर पहुंचे थे, उन्हें देखते ही विजय उनके पास पहुंचे और चरण स्पर्श करते हुए पैरों को पकड़क कर फूट-फूट कर रोने लगे।
कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर ने उन्हें
पिता भी खुद पर काबू न रख सके। पिता-पुत्र के इस मिलन व भावुकता का देख पूरा वातावरण भी भावुक हो गया। प्रदेश सरकार के पिता-पुत्र के इस भावुक मिलन को देख सभी की आंखें भर आईं। कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर ने उन्हें उठाकर ढांढस बंधाया तो दूसरे काबीना मंत्री दारा सिंह चौहान ने प्रत्याशी पिता को माला पहनाकर उन्हें प्रणाम किया। अत्यंत सामान्य व निर्धन परिवार के विजय राजभर संघ के स्वयंसेवक हैं।
इसके बाद भाजपा के
भाजपा कायकर्ता के तौर पर काम करते हुए वे अपने वार्ड से नगर के सभासद चुने गए। इसके बाद भाजपा के नगर अध्यक्ष का दायित्व निर्वहन करने के बाद जिला कार्यकारिणी में पदाधिकारी बनाए गए। मूल रूप से सदर विधानसभा के निवासी विजय को पार्टी ने घाेसी सीट से उम्मीदवार बनाकर एक तीर से कई निशाने लगाए हैं।
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