विजय माल्या की संपत्ति को जब्त करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट होली के बाद करेगा सुनवाई

742

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या की याचिका को थोड़े समय तक टाल दिया है। अब सुप्रीम कोर्ट मार्च में होली के बाद सुनवाई करेगा। यह याचिका माल्या ने भारत में अपनी संपत्ति जब्त करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा शुरू की गई कार्यवाही के खिलाफ डाली थी। बता दें कि लगभग छह महीने पहले अपने और अपने रिश्तेदारों के स्वामित्व वाली सभी संपत्तियों को जब्त करने पर रोक लगाने की मांग करते हुए विजय माल्या ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इससे पहले उन्होंने बांबे हाईकोर्ट में अपील की थी जो की खारिज हो गई थी।

अपनी दलील में माल्या ने कहा था कि वह केवल उन अनियमितताओं का अटैचमेंट चाहते थे जो किंगफिशर एयरलाइंस से संबंधित हैं। ज्ञात हो कि पीएमएलए (प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) कोर्ट ने जनवरी 2019 में माल्या को आर्थिक भगोड़ा घोषित किया था। माल्या पर बैंकों के 9000 करोड़ रुपये लेकर भागने का आरोप है। वह मार्च 2016 में ही लंदन भाग गया था।

हाथ जोड़कर कहा- दे दूंगा पूरा मूल धन

हाल ही में माल्या ने कहा था कि वह भारतीय बैंकों का पूरा बकाया मूल धन वापस करने के लिए तैयार है। प्रत्यर्पण आदेश के खिलाफ लंदन हाई कोर्ट में अपील पर तीन दिन की बहस पूरी होने के बाद माल्या ने यह बात कही थी। अब माल्या पर कभी भी फैसला आ सकता है।

लंदन हाई कोर्ट के बाहर मीडिया से बात करते हुए माल्या ने कहा था कि भारतीय बैंकों से हाथ जोड़कर कह रहे हैं कि वह उनका पूरा मूल धन चुकाने के लिए तैयार हैं। कहा, भारत में सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) एक ही धनराशि की वसूली के लिए अलग-अलग मुकदमा दर्ज किए हुए हैं। प्रक्रिया में उसके साथ उचित व्यवहार नहीं हो रहा। बीते चार साल से उसके साथ सरकारी एजेंसियां अनुचित व्यवहार कर रही हैं।

दोनों एजेंसियों ने माल्या पर बैंक के कर्ज की धोखाधड़ी और मनी लांड्रिंग कानून के तहत मुकदमे दर्ज कर रखे हैं। माल्या की हजारों करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त कर लिया है। माल्या पर भारतीय बैंकों का नौ हजार करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है। इस कर्ज को चुकाने से बचने के लिए माल्या लंदन में रह रहा है। जबकि भारतीय एजेंसियां उसे भारत में लाकर मुकदमा चलाना चाहती हैं और उस पर बैंकों का बकाया वसूल करना चाहती हैं।

Leave a Reply