Bihar : बिहार विधानसभा में सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का बहुमत परीक्षण, यानी फ्लोर टेस्ट होना है। यह विधायकों के जरिए शक्ति परीक्षण की जगह ‘खेला’ के नाम से ज्यादा चर्चा में है। खरीद-फरोख्त, यानी हॉर्स ट्रेडिंग की बात कांग्रेस ने पहल लायी। अब सब खेला होने का दावा कर रहे हैं।
Haldwani News : हल्द्वानी हिंसा के तीसरा दिन भी कर्फ्यू जारी; इंटरनेट सेवाएं बंद
अबतक ऐसा लग रहा है कि 128 विधायकों वाली राजग सरकार के पास अब 130 की ताकत है। सदस्यता जानें का खतरा देख 130 इधर नहीं हों तो विपक्ष की संख्या 114 की जगह 112 हो सकती है। कारण आगे पढ़ें।
छह महीने में यह ऊंट पहाड़ के नीचे
28 जनवरी को कुछ घंटे में सरकार बदल गई थी। इसे पलटासन कहा गया। लेकिन, हम आगे जिस पलटासन की बात कर रहे, उसमें छह महीना लगा। सितंबर 2023 में एक खबर खूब चली थी कि राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने क्षत्रिय नेता आनंद मोहन सिंह को मिलने के लिए समय नहीं दिया। आनंद मोहन के बेटे लालू की पार्टी राजद के विधायक हैं।
दूसरी तरफ सीएम नीतीश कुमार दूसरे प्रदेश (Bihar ) से लौटकर भी आनंद मोहन के घर शादी में वर-वधू को आशीर्वाद देने पहुंचे। छह महीने पहले तब राजद सत्ता में था, अब विपक्ष में है। नीतीश अब भी सत्ता में हैं। नीतीश सरकार ने ही आनंद मोहन को बाहर निकालने में मदद की, यह सभी जानते हैं।
लेकिन, सिर्फ यही परिस्थितियां राजद विधायक चेतन आनंद के विपक्ष की जगह सत्ता की तरफ झुकाव की वजह नहीं बनेंगी। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने आनंद मोहन की रिहाई की वैधानिकता पर केंद्र सरकार से हलफनामा पेश करने कहा था। इस हलफनामा की एक लाइन क्या कर सकती है, यह अंदाजा लगाना मुश्किल भी नहीं। इस बारे में चेतन आनंद या आनंद मोहन कुछ कहने को तैयार नहीं, लेकिन 12 फरवरी को जरूरत पड़ी तो बहुत कुछ कर सकते हैं- इससे इनकार नहीं किया जा सकता है।
28 जनवरी की आतिशबाजी याद कीजिए (Bihar)
जब बिहार में 28 जनवरी को महागठबंधन की सरकार खत्म हुई और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनी तो राजद के एक पूर्व विधायक के आवास पर खूब आतिशबाजी हुई थी। मुख्यमंत्री आवास से कुछ ही दूरी पर आसमान पटाखों की रोशनी और आवाज से गुंजता रहा था। उस पूर्व विधायक को उनके समर्थक ‘छोटे सरकार’ कहते हैं। हां, बाहुबली अनंत सिंह। अपराध साबित होने पर उनकी विधायकी छिनी तो पत्नी नीलम देवी राजद से ही विधायक बनीं। अब भी हैं। फिर भी अनंत सिंह के आवास पर जमकर आतिशबाजी हुई।
अनंत सिंह भी भूमिहार हैं और जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह भी। दोनों का क्षेत्र लगभग एक है। क्षेत्र की लड़ाई तो थी भी और है भी। कहा जाता है कि जदयू में ललन सिंह का ताकतवर होना भी अनंत सिंह के नीतीश कुमार या जनता दल यूनाईटेड से दूर होने का कारण रहा था। ऐसे में जब ललन अब कुर्सी से दूर हैं तो अनंत सिंह सहज भी। 29 दिसंबर को जदयू और 28 जनवरी को बिहार की सत्ता में उलटफेर के बाद संभव है कि मोकामा विधायक नीलम देवी पाला बदल लें। बताया जा रहा है कि फ्लोर टेस्ट से पहले, अब वह लालू-तेजस्वी से दूरी बना चुकी हैं।
Amit Shah on CAA : लोकसभा चुनाव से पहले पूरे देश में लागू होगा CAA