देहरादून: प्रदेश में सरकारी कामकाज में अड़ंगा बने नकारा कार्मिकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति के जरिए घर भेजने की मुहिम सचिवालय सेवा से शुरू होगी। अखिल भारतीय और प्रादेशिक सेवाओं के आला नौकरशाहों से ये शुरुआत करने में सरकार हिचक गई।
प्रदेश में सरकारी कामकाज और विकास को गति देने में आड़े आ रहे विभिन्न सेवाओं, श्रेणियों के नौकरशाहों, अधिकारियों व कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के लिए मौजूदा सरकार ने छह जुलाई, 2017 को आदेश जारी किए थे। इन आदेशों को जमीन में उतारने की कवायद में ही दो साल से ज्यादा वक्त बीत गया। अब सरकार ने सचिवालय सेवा संवर्ग से इसकी शुरुआत की है। सचिवालय सेवा के अंतर्गत विभिन्न श्रेणियों के अधिकारियों व कर्मचारियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए शुक्रवार को स्क्रीनिंग कमेटी गठित करने के आदेश मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने जारी किए।
श्रेणी क के अधिकारियों के लिए गठित स्क्रीनिंग कमेटी के लिए सचिवालय प्रशासन के अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव या सचिव अध्यक्ष, कार्मिक से नामित अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव या सचिव ओर सचिवालय प्रशासन विभाग के अधिष्ठान कार्य को देख रहे अपर सचिव सदस्य होंगे। श्रेणी ख के अधिकारियों के लिए गठित स्क्रीनिंग कमेटी श्रेणी क की तर्ज पर है।
श्रेणी ग के कार्मिकों के लिए गठित स्क्रीनिंग कमेटी में अध्यक्ष सचिवालय प्रशासन के अधिष्ठान देख रहे अपर सचिव, कार्मिक संयुक्त सचिव सदस्य व सचिवालय प्रशासन में अधिष्ठान कार्य देख रहे संयुक्त सचिव सदस्य होंगे। श्रेणी घ के कार्मिकों के लिए गठित स्क्रीनिंग कमेटी में अध्यक्ष अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव या सचिव सचिवालय प्रशासन अध्यक्ष, सचिवालय प्रशासन उप सचिव या अनुसचिव सदस्य व अनुभाग अधिकारी सदस्य होंगे।