Yagyopaveet Sans‍kaar : हरिद्वार में हुआ सीएम के बड़े बेटे दिवाकर का यज्ञोपवीत

407

देहरादून: Yagyopaveet Sans‍kaar  हरिद्वार में पूरे विधिविधान के साथ उत्‍तराखंड के मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी के बड़े बेटे दिवाकर का यज्ञोपवीत संस्‍कार किया गया। हरिद्वार स्थित कुशा घाट पर यज्ञोपवीत संस्कार एक सूक्ष्म कार्यक्रम में पूर्ण विधि-विधान के साथ संपन्न हुआ। आयोजन में सीएम के साथ उनकी पत्नी सहित परिवार के लोग मौजूद रहे। इस दौरान मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी की पत्नी गीता धामी कुमाऊंनी परिधान में खूब खिल रही थीं। कुमाऊंनी पिछौड़ा और नथ में वह बेहद खूबसूरत लग रही थीं।

Adani Controversy : वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा- इससे देश की छवि को कोई नुकसान नहीं

आइये जानते है क्या होता है यज्ञोपवीत संस्कार (Yagyopaveet Sans‍kaar)

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सनातन धर्म में आज भी बिना जनेऊ संस्कार के विवाह पूर्ण नहीं माना जाता है। हिंदू धर्म में कुल 16 संस्कार हैं, जिनमें से यज्ञोपवीत संस्कार विशेष महत्व रखता है। इसे उपनयन संस्कार भी कहते हैं। जनेऊ धारण करने के बाद व्यक्ति को अपने जीवन में नियमों का पालन करना पड़ता है। उसे अपनी दैनिक जीवन के कार्यों को भी जनेऊ को ध्यान में रखते हुए ही करना होता है।

यज्ञोपवीत संस्कार अमूमन 10 साल से कम उम्र के बालकों का करवाया जाता है। लेकिन आज के समय में अधिकतर युवा शादी से पहले जनेऊ संस्‍कार करवाते हैं। जनेऊ, यज्ञोपवीत को हिंदू धर्म का विशेष संस्कार माना जाता है। इसे धारण करने की परंपरा सदियों से यूँ ही चली आ रही है। यज्ञोपवीत संस्कार से पूर्व मुंडन करवाया जाता है। इस दिन स्नान करवाकर उसके सिर और शरीर पर चंदन केसर का लेप लगाया जाता है और जनेऊ पहनाकर ब्रह्मचारी बनाया जाता है। फिर हवन पूजन किया जाता है।

जनेऊ का आध्यात्मिक महत्व

त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक – देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण के प्रतीक – सत्व, रज और तम के प्रतीक होते है। साथ ही ये तीन सूत्र गायत्री मंत्र के तीन चरणों के प्रतीक है तो तीन आश्रमों के प्रतीक भी। जनेऊ के एक-एक तार में तीन-तीन तार होते हैं। अत: कुल तारों की संख्‍या नौ होती है। इनमे एक मुख, दो नासिका, दो आंख, दो कान, मल और मूत्र के दो द्वारा मिलाकर कुल नौ होते हैं। इनका मतलब है – हम मुख से अच्छा बोले और खाएं, आंखों से अच्छा देंखे और कानों से अच्छा सुने। जनेऊ में पांच गांठ लगाई जाती है, इसे प्रवर कहते हैैं जो ब्रह्म, धर्म, अर्ध, काम और मोक्ष का प्रतीक है। ये पांच यज्ञों, पांच ज्ञानेद्रियों और पंच कर्मों के भी प्रतीक है। प्रवर की संख्या १, ३ और ५ होती है।

CM DHAMI

IND vs AUS : टेस्ट सीरीज से पहले विवादों में सिराज और उमरान, जानें पूरा मामला

Leave a Reply