देहरादन। विकासनगर ब्लॉक परिसर में धरने पर बैठीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य व कांग्रेस नेता संजय जैन समेत कई लोगों ने समर्थन किया। सभी ने धरने पर बैठकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मांगों को जायज बताया।
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उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य जैन ने ब्लॉक परिसर में धरने पर बैठी सैकड़ों आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सेविकाओं के संगठन को धरना स्थल पर पहुंचकर समर्थन दिया। संबोधित करते हुए संजय जैन ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता विषम परिस्थितियों में बालकों की देखभाल, शिक्षा, स्वास्थ्य, जनगणना, वोटर लिस्ट बनाने जैसे महत्वपूर्ण काम में योगदान करती हैं।
उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को वर्तमान में दिया जाने वाला 7500 रुपये का मानदेय न्यूनतम मजदूरी की 335 रुपये प्रतिदिन की दर से कहीं कम है। इसके अतिरिक्त उनकी विभिन्न मांगों को अपना समर्थन देते हुए अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य ने इस विषय को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के समक्ष रखने का भी आश्वासन दिया।
कार्यकर्ताओं ने एक 9 सूत्रीय मांग पत्र की प्रति भी इस अवसर पर दी। धरना स्थल पर आरटीआइ कार्यकर्ता अरङ्क्षवद शर्मा, एडवोकेट हरशुल कुमार और कॉमरेड प्रदीप जोशी ने भी आंदोलन को पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया। धरने पर ऊषा शाह, वरीसा, अंजुम, बरखा, नंदनी, रुचि डोगरा, अंजु गर्ग, सुषमा साहू, स्वदेश पाल, विमला, इंद्रा, हिमेश्वरी, आशा शर्मा, प्रियंका, अंजना धीमान, अंजु राठौर, रचना, रजनी, संध्या नेगी, सयोंगिता, रेणू, गुलनाज, रीता, अंजनापाल, जयेंद्री, शंकुतला आदि मौजूद रहीं।
भोजन माता संगठन ने फूका आंदोलन का बिगुल
सरकारी विद्यालयों में मिड डे मील तैयार करने वाली भोजन माताओं ने तीन जनवरी से विकासनगर के खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय पर अनिश्चितकालीन धरना प्रारंभ करने की घोषणा की है। भोजन माताओं के सामने आ रही समस्याओं के समाधान की लगातार मांग करने के बावजूद सरकार पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए भोजन माता संगठन ने धरना प्रारंभ करने की घोषणा की।
मध्यान्न भोजन तैयार करके बच्चों को परोसने वाली भोजनमाताओं का संगठन पिछले काफी समय से मानदेय बढ़ाने व अन्य समस्याओं के समाधान की सरकार से मांग कर रहा है। भोजन माता संगठन की प्रदेश अध्यक्ष ऊषा देवी का कहना है कि सरकार को पिछले कई माह से निरंतर भोजन माताओं की परेशानियों से अवगत कराया जा रहा है, लेकिन सरकार की ओर से किसी भी प्रकार का आश्वासन उन्हें नहीं दिया जा रहा है।
इसके अलावा प्रदेश के चार जनपदों में मिड डे मील तैयार करके स्कूलों में भेजने का कार्य अक्षय पात्र फाउंडेशन नामक संस्था को दिए जाने के बाद भोजन माताओं की विद्यालयों में क्या स्थिति रहेगी, इस पर भी सरकार स्पष्ट जवाब नहीं दे रही है।
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