नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच होने वाली अहम मुलाकात को लेकर अटकलों का बाजार बेहद गर्म है। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने चिनफिंग से मुलाकात कर कश्मीर राग अलापा था। वहीं चीन ने भी इमरान के सुर-में सुर मिलाते हुए कश्मीर पर बयान देने में देर नहीं लगाई थी। हालांकि भारत ने भी बिना किसी देरी के चीन के बयान के जवाब में अपनी बात को बेहद स्पष्ट शब्दों में कह दिया था। संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में भी पाकिस्तान ने अपना कश्मीर रोना रोया था। 11-13 अक्टूबर को होने वाली अहम बैठकों में कश्मीर मुद्दा उठने के पूरे आसार दिखाई दे रहे हैं। दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात वर्ल्ड हेरिटेज साइट महाबलिपुरम ( World Heritage Site of Mahabalipuram) में होगी। जहां तक कश्मीर की बात है तो जब भारत ने कश्मीर की संवैधानिक स्थिति में बदलाव किया था तो चीन की तरफ से बेहद तीखी प्रतिक्रिया आई थी।
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मुलाकात पर चीनी मीडिया की राय
इस मुलाकात को लेकर जहां सभी तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं वहीं ये जानना बेहद जरूरी है कि आखिर चीन की मीडिया इस बारे में क्या राय रखती है। इस संबंध में ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि यह मुलाकात दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत करने में काफी सहायक साबित होगी। इस मुलाकात से दोनों देशों में आपसी विश्वास भी बढ़ेगा और दोनों एशियाई देशों के लिए यह काफी अहम साबित होगी। इसके मुताबिक यदि उत्तर-पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशिया के बीच तुलना की जाए तो यहां पर दोनों देशों के बीच ही सीमा पर विशाल हिमालय स्थित है। इसमें कराकोरम माउंटेन रेंज भी शामिल है।
भारतीय उपमहाद्वीप से अलग नहीं है चीन
जहां तक चीन की बात है तो वह भारतीय उपमहाद्वीप से अलग नहीं है। हमेशा से ही दोनों देशों के लोग आपस में मिलते रहे हैं और दोनों ही देशों के बीच संबंध काफी बेहतर रहे हैं। आपको बता दें कि ग्लोबल टाइम्स चीन का सरकारी अखबार है जो वहां की नीतियों की झलक पेश करता है। इस अखबार में छपे में इस बात को माना गया है कि भारत अपनी बड़ी अर्थव्यवस्था, अपनी जनसख्ंया और क्षेत्रफल के लिहाज से इस क्षेत्र में अग्रणी है। चीन के लिए भारत केवल एक क्षेत्रिय सहयोगी ही नहीं बल्कि दूसरे देशों के बीच बेहतर तालमेल के लिहाज से भी बड़ा सहयोगी है।
ओबीओआर की शुरुआत
अखबार के मुताबिक चीन ने पूरे क्षेत्र के विकास के लिए बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट की शुरुआत की है, जिसका फायदा चीन के सभी पड़ोसी देश उठा सकते हैं। चीन न सिर्फ विकास की दृष्टि से इस पूरे क्षेत्र में बड़ा निवेश कर रहा है बल्कि अपना प्रभाव भी इस इलाके में बढ़ा रहा हे। अखबार के मुताबिक इस पूरे क्षेत्र में चीन भी एक बड़ा स्टेकहोल्डर है।
बेहतर वातावरण करें तैयार
इस लेख में कहा गया है कि चीन के दक्षिण एशिया में बढ़ते प्रभाव से भारत में चिंता की आवाजें उठ रही हैं। लेकिन चीन और भारत वर्षों पुराने सहयोगी रहे हैं। इस लिहाज से जरूरी है कि दोनों ही देश आपसी तालमेल और संबंधों को बेहतर करने के लिए अच्छा वातावरण तैयार करें, जो अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सके। चीन के सरकारी अखबार का कहना है कि दोनों देशों के बीच बेहतर तालमेल आज के समय की मांग है। खासतौर पर अपने पड़ोसियों के लिए यह जरूरी है कि लोगों बेहतर भविष्य का निर्माण किया जाए। दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग बढ़ाने के असीमित अवसर हैं। दक्षिण एशिया की आबादी की ही बात करें तो यह करीब दो बिलियन है। लिहाजा यहां पर व्यापार की अपार संभावना है, चीन इस क्षेत्र की क्षमता का पूरा उपयोग करना चाहता है। हाल के कुछ वर्षों में चीन ने अपने मकसद को पूरा करने के लिए चीन-पाकिस्तान और चीन-नेपाल-भारत इकनॉमिक कॉरिडोर प्रपोज किया है।
दक्षिण एशिया में अभूतपूर्व क्षमता
अखबार का कहना है कि चीन और दक्षिण एशिया में इंडस्ट्री कॉपरेशन को लेकर अभूतपूर्व क्षमता है। काफी समय से गिरावट देखने के बाद चीन की अर्थव्यवस्था अब सामान्य हुई है। अब चीन विकास की राह पर आगे बढ़ने को तैयार है। वहीं दक्षिण एशिया की बात करें तो यहां पर यह विकास की रफ्तार दूसरे क्षेत्रों में देखने को मिली है। अखबार मानता है कि भारत और चीन दोनों साथ आकर इस पूरे क्षेत्र का विकास कर सकते हैं। दक्षिण एशिया की भौगोलिक स्थिति भी यहां के विकास में सहायक है। चीन का मानना है कि समय के साथ भारतीय महासागर की भी उपयोगिता काफी बढ़ गई है। इसकी बदौलत भारत की रणनीतिक स्थिति काफी मजबूत है। वहीं दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते चीन की वेस्ट पेसिफिक रीजन में स्थिति काफी मजबूत है। ऐसे में यदि चीन और भारत किसी भी बात को एक साथ कहेंगे तो उसको पूरा विश्व सुनेगा।
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