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सोमवार सुबह बदरीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुल गए। तड़के सवा तीन बजे से मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना के साथ कपाट खोलने की प्रक्रिया शुरू हो गयी थी। तड़के ब्रह्ममुहूर्त में चार बजकर 29 मिनट पर श्री बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुलते ही श्री जय बदरी विशाल के जयकारे गूंज उठे। देर रात से ही हजारों श्रद्धालु मंदिर के कपाट खुलने के इंतजार में कतार मे खड़े थे। विधिविधान और मंत्रोच्चार के साथ भगवान बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुलने पर श्रद्धालुओं ने हर्षोल्लास के साथ जयकारे लगाए। इस दौरान ब्रह्मकुमारों ने स्वस्ति वाचन किया।
श्रद्धालुओं की लगभग आधा किलोमीटर लगी लंबी कतार
मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की लगभग आधा किलोमीटर लंबी कतार लगी थी। श्रद्धालु मंदिर परिसर में भजन कीर्तन कर रहे हैं। समुद्र सतह से साढ़े दस हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित मंदिर में भगवान बदरीविशाल पदमासन्न मुद्रा में विराजमान हैं। भगवान बदरीनाथ के दर्शन करते ही श्रद्धालु श्रद्धा और आस्था से भावविभोर हो गए। भगवान के दर्शन मात्र से ही उनका जीवन सफल हो गया। भगवान बदरीविशाल अब ग्रीष्मकाल में श्री बदरीनाथ धाम में श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे। कपाट खुलने के समय श्री बदरीनाथ धाम में करीब 5 हजार से अधिक श्रद्धालु उपस्थित थे। बड़ी संख्या में देशभर से पहुंचे श्रद्धालु भगवान के दर्शन के लिए कतारों में खड़े हैं।
बद्रीशपुरी में जय बदरीविशाल के जयकारे गूंज रहे हैं। श्री बदरीनाथ धाम में देशभर से श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला लगातार जारी है। रावल ईश्वर प्रसाद नम्बूरी की उपस्थिति में टिहरी नरेश के राजपुरोहित और बामणी गांव के प्रतिनिधि मंदिर का ताला खोला गया। रावल और धर्माधिकारी मंदिर में प्रवेश कर भगवान बदरीविशाल के घृत कंबल का अनावरण किया। विशेष पूजा-अर्चना के बाद चार बजकर 30 मिनट पर भगवान के दर्शन का सिलसिला शुरू हो गया।
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