समस्यायें जिनका कोविड-19 के बाद स्कूल सामना कर रहे हैं

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देहरादून, 15 जून 2020- भारत की सबसे बड़ी एजुकेशनल फर्नीचर बनाने वाली कंपनी, पॉपकॉर्न फर्नीचर ने श्कोविड-19 के बाद स्कूलों के द्वारा सामना की जानेवाली समस्याओं पर एक वैबिनार आयोजित किया। डेढ़ घंटे तक चलनेवाले इस वैबिनार में भारत और विदेश के चार पैनलिस्ट्स ने भाग लिया।

इस सेशन का आयोजन उन समस्याओं पर चर्चा करने के लिए किया गया था, जिनका स्कूलों को लॉकडाउन के बाद सामना करना पड़ रहा है और स्कूल इंडस्ट्री को संस्थानों को खोलने में पेश आ रही जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसमें लॉकडाउन के बाद शिक्षा के क्षेत्र में आने वाले महीनों में होने वाले परिवर्तनों और और आगे के तौर-तरीके को शामिल किया गया।

इस वैवबिनार में टीचरों, प्रिंसिपलों, स्कूल के मालिकों, स्कूल के ट्रस्टियों, सलाहकारों, आर्किटेक्ट्स और मीडिया सहित लगभग 700 लोगों ने भाग लिया।दर्शकों में भारत, यू.ए.ई., दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया, ओमान और कतर के प्रख्यात शिक्षाविद शामिल थे।

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पॉपकॉर्न फर्नीचर की संस्थापिका और निदेशिका, श्रीमती दीपिका गोयल ने वैबिनार का संचालन किया। सुश्री नूपुर गोयनका, निदेशक, जी.डी. गोयनका ग्रुप, डॉ. स्वाति पोपट वत्स, अध्यक्षा, अर्ली चाइल्डहुड एसोसिएशन- इंडिया, फातेमा अगरकर, निदेशिका ए.सी.ई. ग्रुप और एंडी लियोन्स, निदेशक, इग्नाइट स्कूल दुबई इस सेशन के लिए पैनलिस्ट्स थे।

वैबिनार के दौरान जिन मुख्य बातों पर चर्चा की गई, उनमें शामिल थीं कि किस तरह से स्कूलों को अपने आधारभूत ढाँचे को दोबारा व्यवस्थित करना होगा ताकि सामाजिक दूरी संभव हो सके, माता-पिता और स्कूल के प्रबंधकों के बीच विश्वास की समस्यायें, सरकार के द्वारा शिक्षा उद्योग की मदद के लिए उठाए जा सकने वाले कदम और वर्तमान में जिन आर्थिक तनावों का स्कूलों को सामना करना पड़ रहा है उससे वे कैसे निपटें।

सभी पैनलिस्ट इस बात पर सहमत थे कि लॉकडाउन के बाद स्कूल शिक्षा के अपने मॉडल को एक मिश्रित मॉडल के तौर पर नेटवर्क करने के बारे में सोच रहे हैं। यह ऑनलाइन और ऑफलाइन पढ़ाने का एक मिला-जुला रूप हो सकता है। इस वैबिनार में एक लंबा चलने वाला प्रश्न और उत्तर का दौर था और इसमें लॉकडाउन के बाद प्रि-स्कूल के बच्चों की समस्याओं से लेकर, माता-पिता के द्वारा इस महामारी का टीका नहीं आ जाने तक बच्चों को स्कूल नहीं भेजने की इच्छा व्यक्त करने से इस समय के दौरान स्कूलों द्वारा सामना की जा रही आर्थिक दिक्कतों तक के प्रश्न शामिल थे।

पॉपकॉर्न फर्नीचर ने कॉग्निजेंस इंटरनेशनल एकडेमी को अपने रु.30,000ध्- के फर्नीचर वाउचर का विजेता घोषित किया। पॉपकॉर्न ने वैबिनार में भाग लेने वाले लोगों को उनके रु. 1 लाख रुपये से अधिक की फर्नीचर की खरीद पर रु. 10,000 का एक गिफ्ट वाउचर भी दिया।

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पॉपकॉर्न फर्नीचर की संस्थापिका और निदेशिका श्रीमती दीपिका गोयल ने कहा, ष्पॉपकॉर्न के 5 मिलियन से अधिक ऐसे विद्यार्थी हैं जो हमारे खुश ग्राहक हैं।

चूँकि इस ब्रांड की खूबसूरती है इन बच्चों के लिए सुरक्षित फर्नीचर मुहैया कराना, इसलिए हमने यह महसूस किया कि हमें विशेषज्ञों की एक ऐसी टीम को एक साथ लेकर आयें जो उन प्रश्नों का उत्तर दे सकें जो इस मौजूदा समय में स्कूलों के सामने खड़े हैं।

इससे उन्हें लॉकडाउन के बाद पर्याप्त सामाजिक दूरी के उपायों के साथ स्कूल खोलने के लिए सक्षम बनने में मदद मिलेगी। यह कंपनी ऐक्रेलिक स्क्रीन सहित कई उत्पादों लेकर आई है, जिनका छात्रों के बीच पार्टिशन्स के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, फ्लेक्सी क्लासरूम, जिन्हें आसानी से अलग-अलग किया जा सकता है ताकि सामाजिक दूरी बनायी जा सके और एंटी-बैक्टीरियल टॉप्स जिनकी सतह 99.9ः छिद्र-रहित होती हैं। हमें वैबिनार के बाद स्कूलों से तारीफों भरे बहुत सारे मेल्स मिले हैं कि वे ऐसी कई समस्याओं का हल ढूँढने में कामयाब हुए हैं जिनका वे सामना कर रहे थे।

सुश्री नूपुर गोयनका, निदेशिका, जी.डी. गोयनका ग्रुप – जी.डी. गोयनका ग्रुप के देशभर में और विश्वविद्यालयों में लगभग 100 प्री-स्कूल और 65 के-12 स्कूल हैं।दोबारा खोलने की तैयारी करने के लिए हम हर उम्र के बच्चों के ग्रुप के लिए प्रोटोकॉल और पॉलिसीज के साथ विस्तृत एस.ओ.पी. बना रहे हैं और सुरक्षा पर ध्यान दे रहे हैं, ऑनलाइन शिक्षा के लिए टीचरों के लिए और भी आधुनिक ट्रेनिंग, माता-पिता की ट्रेनिंग, सीखने का एक मिश्रित मॉडल और गहन काउंसलिंग के जरिए छात्रों को भावनात्मक सहयोग।

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स्कूलों को खोलने का काम स्कूल में सुरक्षा, वैचारिक समझ-बूझ, व्यावहारिक और भावनात्मक सुख-सुविधा पर केंद्रित एक अंतरपूर्ण, चरणबद्ध तरीके से किया जायेगा। शिक्षा में निजी क्षेत्र ने सचमुच बहुत सारा काम किया है और इस मुसीबत के का निपटारा करने में बहुत बढ़िया काम कर रहा है। बच्चे भविष्य के हमारे सबसे महत्वपूर्ण संसाधन हैं। हमें शिक्षा को श्अनिवार्य सेवाश् मानना चाहिए और पढ़ाने के इस नए युग को सफलतापूर्वक तरीके से लेकर आने के लिए साथ मिलकर काम करने की जरूरत है।

श्री एंडी लियोन्स, निदेशक, इग्नाइट स्कूल, दुबई – कोविड -19 में निहित प्रभावों ने सच में शिक्षा के क्षेत्र को प्रभावित किया है और स्कूल कभी भी पहले जैसे नहीं हों सकेंगे।दुनियाभर के स्कूलों के प्रमुख आनेवाले साल के लिए कई विकल्पों पर विचार कर रहे हैं और हमें आशा हैं कि सीखने के लिए हमेशा किसी न किसी तरह के मिले-जुले तौर-तरीके होंगे और हर स्कूल में अलग ही नजर आयेंगे।

एक स्कूल का प्रमुख होने के नाते मेरी सलाह यह है कि अपने स्कूल के अभिभावकों के विश्वास को बढ़ाईये, स्थापित कीजिए और उसका ध्यान रखिए। अभिभावकों-स्कूल के बीच एक मजबूत संबंध आपके स्कूल के द्वारा अपनाए जानेवाले किसी भी दृष्टिकोण को सफल बनायेगा।

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अपने टीचरों और कर्मचारियों की सुख-सुविधा का ध्यान रखें क्योंकि वे लोग स्कूल की रीढ़ की हड्डी हैं और ऑनलाइन शिक्षा के दौरान अथक प्रयास कर रहे हैं। आईये हम शिक्षा के क्षेत्र के कार्मिकों के तौर पर हम एक-दूसरे से सीखने के लिए मिल-जुलकर करते रहें और वही करें जो हमारे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ हो!

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