देहरादून: स्मार्ट सिटी के तहत रोडवेज कार्यशाला की भूमि पर बनने वाली ग्रीन बिल्डिंग के मामले पर सरकार को फिलहाल राहत मिलती दिखाई नहीं दे रही। हाईकोर्ट की ओर से रोडवेज कार्यशाला की भूमि ट्रांसफर करने पर रोक लगाने के बाद सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही थी। पर इससे पूर्व ही उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई और कैविएट दाखिल कर दी। अब सरकार के साथ ही यूनियन का पक्ष भी सुना जाएगा।
स्मार्ट सिटी के लिए रोडवेज की हरिद्वार रोड स्थित कार्यशाला की जमीन को शहरी विकास विभाग को देने का मामला फंसता दिख रहा है। जमीन के बदले आइएसबीटी का स्वामित्व और 100 करोड़ रुपये डिमांड कर रही रोडवेज कर्मचारी यूनियन की ओर से हाईकोर्ट में अपील की गई थी।
करीब 58 करोड़ के भुगतान की तैयारी की जा रही थी
सरकार की ओर से जमीन के बाजारी भाव को भी दरकिनार करते हुए रोडवेज को सर्किल रेट के हिसाब से करीब 58 करोड़ के भुगतान की तैयारी की जा रही थी, जो यूनियन को नागवार था। इस मामले पर रोडवेज के शेष कर्मचारी संगठन भी आंदोलन कर लगातार सरकार पर दबाव बना रहे हैं। स्मार्ट सिटी के अंतर्गत कार्यशाला की करीब 25 एकड़ जमीन पर जिले के सभी सरकारी कार्यलयों की ग्रीन बिल्डिंग का निर्माण कराया जाना है। इसके लिए सरकार ने रोडवेज को यह जमीन शहरी विकास को ट्रांसफर करने के आदेश दिए थे।
कर्मचारियों के विरोध को देखते हुए सरकार ने इस मामले में प्रतिपूर्ति के फैसले पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में वित्त विभाग ने आइएसबीटी स्वामित्व और कार्यशाला शिफ्टिंग का खर्च देने से इन्कार कर दिया था। इस फैसले के बाद कर्मचारी यूनियन हाईकोर्ट गई और गत नौ जनवरी को हाईकोर्ट ने जमीन ट्रांसफर करने पर रोक लगा दी थी। बतादें कि उत्तराखंड परिवहन निगम की हरिद्वार रोड स्थित कार्यशाला में सैकड़ों रोडवेज की प्रतिदिन मरम्मत होती है। साथ ही यहां कुछ यूनियन के कार्यालय भी हैं, जो यहीं से संगठनात्मक कार्य संचालित करती है।