देहरादून। वन आरक्षी भर्ती परीक्षा के लिए पौड़ी में बनाए गए केंद्र पर पांच लाख रुपये में नकल करवाने का ठेका लेने वाला मास्टर माइंड राज्य लोक सेवा आयोग हरिद्वार का समीक्षा अधिकारी कुलदीप राठी निकला। हरिद्वार जिले में उसके चार कोचिंग सेंटर भी संचालित होते हैं। पौड़ी जिले की पुलिस आरोपित को रुड़की से गिरफ्तार कर लिया है। उसे कोर्ट में पेश करने के बाद 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।
इसी सिलसिले में पुलिस कोटद्वार में तैनात सहायक कृषि अधिकारी सुधीर कुमार और रुड़की के एक कोचिंग सेंटर संचालक मुकेश सैनी को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। दो सरकारी अधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद वन आरक्षी भर्ती परीक्षा पर विवादों का साया और गहरा गया है।
पौड़ी के एसएसपी दलीप सिंह कुंवर ने पत्रकारों को भर्ती परीक्षा प्रकरण में राज्य लोक सेवा आयोग के समीक्षा अधिकारी कुलदीप राठी की गिरफ्तारी की जानकारी दी। एसएसपी ने बताया कि राठी की गिरफ्तारी नकल प्रकरण में पूर्व में पकड़े गए सहायक कृषि अधिकारी सुधीर कुमार से पूछताछ के आधार पर की गई है। सुधीर ने नकल प्रकरण का मुख्य कर्ताधर्ता राठी को बताया।
उन्होंने बताया कि 16 फरवरी को वन आरक्षी भर्ती परीक्षा शुरू होने के आधे घंटे बाद से परीक्षा समाप्त होने तक कुलदीप व सुधीर लगातार फोन पर संपर्क में थे। परीक्षा के दिन कुलदीप मेरठ में था।
दिसंबर से चल रहा था छुट्टी पर
एसएसपी ने बताया कि गिरफ्तार आरोपित कुलदीप हरिद्वार जिले के नारसन कला का रहने वाला है। उसकी तैनाती राज्य लोक सेवा आयोग हरिद्वार में है। वर्ष 2019 में उसे आयोग में तैनाती मिली थी। वह दिसंबर माह से अवकाश पर था।
आयोग को नहीं गिरफ्तारी की सूचना
राज्य लोक सेवा आयोग उत्तराखंड के सचिव राजेंद्र कुमार के मुताबिक, राज्य लोकसेवा आयोग के समीक्षा अधिकारी कुलदीप राठी की किसी मामले में गिरफ्तारी की कोई भी अधिकृत सूचना नहीं है। पौड़ी पुलिस की तरफ से भी उन्हें इस बारे में अभी तक कोई आधिकारिक सूचना या जानकारी नहीं दी गई है। जैसे ही उन्हें इस बारे में जानकारी होती है।
उन्होंने कहा कि आयोग में समीक्षा अधिकारी पद पर कुलदीप राठी नामक व्यक्ति कार्यरत है और वह दिसंबर से मेडिकल लीव पर है। पौड़ी पुलिस के स्तर से गिरफ्तार कुलदीप राठी अगर वही शख्स हैं तो उनके खिलाफ नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी।
परीक्षा निरस्त कराने की उठ रही मांग
युवक कांग्रेसियों, बेरोजगार संगठन समेत कई संगठनों ने सरकार और आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल हुआ है। उनकी मांग है कि अब तक की जांच में सामने आए तथ्यों को देखते हुए इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि परीक्षा में व्यापक पैमाने पर नकल नहीं हुई है। इसलिए सरकार को परीक्षा को तत्काल निरस्त कर नए सिरे से परीक्षा करानी चाहिए।
पहले भी कई परीक्षाओं में सामने आ चुकी है गड़बड़ी
भले ही उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष परीक्षा में पारदर्शिता बरतने के दावे कर रहे हों, लेकिन पिछले तीन साल में आयोग की ओर से आयोजित परीक्षा किसी न किसी रूप में विवादों में रही है। जिसे आज प्रदेशभर के युवा बेरोजगार मुद्दा बना रहे हैं। उनके निशाने पर सेवा चयन आयोग है। क्योंकि राजकीय सेवा में रोजगार की आस में राज्य के लाखों युवाओं को कई बार अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से निराशा हाथ लगी है।
पिछले वर्ष कनिष्ठ सहायक स्नातक परीक्षा, ऊर्जा के तीनों निगमों के लिए हुई टेक्नीशियन ग्रेड-टू परीक्षा में भी विवाद सामने आया। ताजा मामला बीती 16 फरवरी को हुई फॉरेस्ट गार्ड के 1218 पदों के लिए हुई लिखित परीक्षा में सामने आई गड़बड़ी का है। जिसमें पूर्व नियोजित ढंग से कुछ परीक्षा केंद्रों पर अभ्यर्थियों ने हाईटेक तरीके से नकल की।
परीक्षा में करीब एक लाख अभ्यर्थियों ने भाग लिया। परीक्षा केंद्र पर बायोमेट्रिक उपस्थिति के साथ वीडियोग्राफी की व्यवस्था है, लेकिन अभ्यर्थियों द्वारा परीक्षा कक्ष में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के जरिये नकल की यह बात सामने आ रही है।
विदित रहे कि सेवा चयन आयोग ने नवंबर 2017 को ऊर्जा के यूपीसीएल, यूजेवीएनएल व पिटकुल के टेक्नीशियन ग्रेड-टू के 171 पदों के लिए परीक्षा ली थी। परीक्षा में करीब चार हजार छह सौ अभ्यर्थी शामिल हुए। परीक्षा के अगले दिन आयोग की ओर से ओएमआर सीट अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई थी। आयोग की ओर से फरवरी 2019 को परिणाम घोषित किया गया।
परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद आयोग में गुप्त शिकायत मिली कि जिन अभ्यर्थियों का चयन हुआ है। उनमें से कई ने ओएमआर सीट के साथ छेड़छाड़ की है। शिकायत के बाद आयोग ने गोपनीय जांच शुरू की। कोषागार में जमा मूल ओएमआर सीट निकलवाई गई। पाया गया कि वेबसाइट पर अपलोड छह ओएमआर सीट के अंकों में अंतर था।
इसके लिए उत्तर गोलों को कूटरचित किया गया था। मामले में 28 छात्रों पर मुकदमा दर्ज हुआ। इसी प्रकार आयोग की दूसरी परीक्षा कनिष्ठ सहायक में भी गड़बड़ी सामने आई। आयोग ने 25 नवंबर 2018 को कनिष्ठ सहायक स्नातक स्तरीय परीक्षा कराई थी।
इसमें निर्धारित अभ्यर्थियों की मूल ओएमआर ईमेज व ओएमआर की द्वितीय (कार्यालय) प्रति के मिलान में यह खुलासा हुआ कि एक अभ्यर्थी की मूल ओएमआर व द्वितीय प्रति में उत्तर गोलों में अंतर है। मूल ओएमआर सीट में परीक्षा होने के बाद उत्तर गोले जोड़े गए हैं। संबंधित अभ्यर्थी का परीक्षा परिणाम रोक दिया गया। यह छेड़छाड़ अभ्यर्थी को पास कराने के उद्देश्य से की गई। आयोग ने पुलिस ने धोखाधड़ी व दस्तावेजों में छेड़छाड़ का मुकदमा दर्ज कराया था।
भर्ती घपलों पर दोहरे मापदंड अपना रही सरकार
पूर्व दर्जाधारी रविंद्र जुगरान ने प्रदेश सरकार और चयन आयोग पर भर्ती घपलों पर कार्रवाई में दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया। प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता के दौरान उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि पूर्व में ऊर्जा निगम भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी पर परीक्षा निरस्त कर दी। इसके बावजूद फॉरेस्ट गार्ड भर्ती में इतने लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के बाद भी परीक्षा निरस्त नहीं की गई।
जुगरान के साथ पूर्व में ऊर्जा निगमों की भर्ती में जेई पदों के लिए चयनित अभ्यर्थी भी शामिल रहे। जुगरान ने कहा कि राज्य सरकार और अधीनस्थ सेवा चयन आयोग भर्ती निरस्त करने में दोहरा मापदंड अपना रहा है। इससे सरकार की मंशा पर सवाल उठते हैं। अभ्यर्थियों ने सरकार से परीक्षाओं के लिए एक समान रवैया अपनाने की मांग की। इस मौके पर हरेंद्र ग्वासिकोटी, सुप्रिया, काजल रावत, प्रदीप कपरवाण, विपिन कोठियाल, विवेक बिष्ट, रोहन डोभाल, दीपक नौटियाल समेत अन्य लोग मौजूद रहे।