2024 तक दोगुनी होगी उत्तर प्रदेश की प्रतिव्यक्ति आय:सीएम योगी आदित्यनाथ

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गोरखपुर,भारत की प्रमुख धार्मिक पीठ के रूप में प्रतिष्ठित गोरखनाथ मंदिर ने राजनीति की भी तीन पीढियां देखीं। यहां महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ के बाद योगी आदित्यनाथ गोरक्ष पीठाधीश्वर हुए और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में 19 सितंबर को ढाई वर्ष का कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। वह धर्म की व्याख्या जितनी सहजता से करते हैं। उतने ही आत्मविश्वास से यह भी कह देते हैं कि 2024 तक उत्तर प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय दोगुनी होगी।

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अपने इस दावे के तर्क भी हैं उनके पास। इन दिनों अपने अफसरों और मंत्रियों को आइआइएम में प्रबंधन और टीम भावना के गुर सिखवा रहे योगी 2022 के विधानसभा चुनाव में न कांग्रेस को प्रतिद्वंद्वी मानते हैं और न अखिलेश यादव और मायावती को। अपने गुरुओं की स्मृति में किये जाने वाले वार्षिक आयोजनों के लिए योगी सोमवार शाम गोरखपुर पहुंच गए। यहां अपनी सरकार के ढाई साल पूरे होने पर उन्होंने दैनिक जागरण के राज्य संपादक आशुतोष शुक्ल, गोरखपुर संपादकीय प्रभारी जितेंद्र त्रिपाठी और राज्य ब्यूरो के विशेष संवाददाता आनन्द राय से गोरखनाथ मंदिर परिसर स्थित अपने आवास में लंबी बात की। प्रशासन, धर्म, समाज, राजनीति आदि सभी विषयों पर योगी आदित्यनाथ ने विस्तार से मन की कही।

मुख्यमंत्री जी, आप मंत्रियों और अफसरों को लेकर अभी आइआइएम, लखनऊ गये। आपने अभी कहा कि टीम वर्क के लिए गये। टीम वर्क में कहां कमी दिखती है आपको ?

– हर व्यक्ति के पास विचार, ब्रेन और विजन है लेकिन हर व्यक्ति अपनी बात व्यक्त नहीं कर सकता है। संकोच करता है। बहुत से लोगों को एकाकीपन अच्छा लगता है। हम उसकी ऊर्जा का उपयोग नहीं कर पाते हैं। इसके लिए आइआइएम गये। वहां व्यक्ति, ग्रुप और एक्सपर्ट की राय से निष्कर्ष निकला। मुझे लगता है कि हर व्यक्ति योग्य प्रबंधक बन सकता है। इसके लिए विचारों को व्यक्त करने का अवसर चाहिये। वहां कोई छोटा, बड़ा और कोई शिक्षक-छात्र नहीं थे। सबका मकसद एक था।

आपकी सरकार ने प्रदेश को एक टिलियन (दस खरब रुपया) डालर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है ?

– यूपी के विकास की आज जो रफ्तार है अगर वही रही तो 2030 तक उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था एक टिलियन (दस खरब रुपया) डालर हो सकती है लेकिन स्पीड बढ़ाकर हम 2024 तक इस लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं। अभी विकास दर आठ के आसपास है लेकिन अगले चार वर्षो मे 40 लाख करोड़ रुपये निवेश करने का लक्ष्य है। अभी उउत्तर में प्रति व्यक्ति आय 64 हजार रुपये है जबकि देश की एक लाख 20 हजार रुपये है। अगर 2024 तक एक टिलियन डालर इकोनामी का लक्ष्य पूरा हो गया तो यूपी की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय आय से ज्यादा हो जायेगी। यानी प्रति व्यक्ति आय दोगुनी हो जायेगी।

लक्ष्य महत्वाकांक्षी है मगर इसके लिए विकास के किन सेक्टरों पर आपका फोकस है?

– उत्तर प्रदेश अपार संभावनाओं का प्रदेश है। यूपी में प्रकृति और परमात्मा की बड़ी कृपा है। हमने कृषि को प्राथमिकता दी है। कोआपरेटिव खेती को बढ़ावा देकर लक्ष्य हासिल करेंगे। कृषि, आधारभूत ढांचा, औद्योगिक विकास, बेहतर कानून-व्यवस्था के साथ पुलिस के आधुनिकीकरण पर फोकस है। हमारा पांचवां सेक्टर बेहतर मैन पावर का विकास करना है। शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ कौशल विकास पर जोर है। आधारभूत ढांचे में तीन वर्ष में 25 लाख करोड़ निवेश का लक्ष्य रखा गया है।

इसके लिए क्या कोई नीति बनी है?

– कई प्रमुख नीतियां बनी हैं। उत्तर प्रदेश में एग्रो एक्सपोर्ट की पालिसी बना दी है। हमारी प्राथमिकता आधारभूत ढांचा मजबूत करने की है। सड़कों का जाल बिछाने से लेकर सभी बु़नियादी सुविधाएं उपलब्ध कराकर कृषि और उद्योग को प्राथमिकता देनी है। पूर्वाचल एक्सप्रेस-वे के दोनों तरफ एग्रीकल्चर आधारित उद्योग और बुंदेलखंड एक्सप्रेस के दोनों तरफ डिफेंस कार

आप विकास की बात कर रहे लेकिन अभी उप चुनाव होगा तो रंगयुद्ध शुरू हो जाएगा। भगवा और हरा वायरस की बात होने से क्या मूल प्रश्न उपेक्षित नहीं रह जाते?

– 1947 से लेकर 2014 तक लगभग सभी चुनाव धर्म, संप्रदाय, जाति, वर्ग, तुष्टीकरण आदि को लेकर लड़े गये, लेकिन देश में 2014 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांव, गरीब, विकास, महिला सशक्तीकरण, औद्योगीकरण पर चुनाव लड़ा। यह आप लोग 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी देख चुके हैं। यहां विपक्षी दलों ने जब चुनाव में सांप्रदायिकता का जहर घोलना शुरू किया तब हमने उन्हें जवाब दिया।

संभल हो या महराजगंज, जालौन हो या फतेहपुर सभी छोटे जिलों में नागरिक सुविधाएं न के बराबर हैं जबकि सरकारों का सारा विकास लखनऊ केंद्रित रहा है। असमानता का यह बड़ा अंतर कैसे दूर होगा?

– सभी जिलों में विकास कार्य हो रहा है। सभी जिलों में बिना भेदभाव के केंद्र व राज्य की सभी योजनाएं चल रही हैं। हो सकता है इन शहरों में रहने वाले लोगों को विकास की यह रफ्तार महसूस न हो रही हो। ये शहर स्वयं विकास प्रक्रिया का हिस्सा हैं इसलिए वहां के निवासियों को यह चीज समझ में नहीं आती। हो सकता है गोरखपुर में रहने वालों को ही यह लग रहा हो कि शहर में विकास कार्य नहीं हो रहा है लेकिन बाहर से आने वालों का यह स्पष्ट मत है कि इस शहर में बहुत विकास हुआ है।

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