श्रीनगर:कश्मीर में मुहर्रम का जुलूस निकालने से रोकने के लिए शहर और घाटी के कई हिस्सों में कर्फ्यू जैसे प्रतिबंध लगाए गए हैं। अधिकारियों को आशंका है कि बड़ी संख्या में लोगों के एकत्र होने से हिंसा भड़क सकती है। अधिकारियों ने बताया कि कश्मीर के लाल चौक और आसपास के इलाकों के सभी प्रवेश द्वारों को कंटीले तारों से बंद कर दिया गया है और भारी संख्या में सुरक्षाकर्मी भी तैनात किए गए हैं।कश्मीर में मुहर्रम के मौके पर कर्फ्यू जैसे प्रतिबंध लगाए गए हैं। अधिकारियों ने इसका कारण नहीं बताया है लेकिन माना जा रहा है कि मुहर्रम पर लोगों के बड़ी संख्या में एकत्र होने से हिंसा भड़क सकती है, इसलिए ये प्रतिबंध लगाए गए हैं।
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घाटी के कई हिस्सों में प्रतिबंध
अधिकारियों के मुताबिक, घाटी में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए एहतियातन कश्मीर के कई हिस्सों में प्रतिबंध लगाए गए हैं। अधिकारियों ने प्रतिबंध लगाए जाने के लिए किसी कारण का हवाला नहीं दिया लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि मुहर्रम के जुलूस को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। मुहर्रम को इस्लामिक चांद कैलेंडर का एक पवित्र महीना माना जाता है। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को केन्द्र सरकार द्वारा 5 अगस्त को हटाने के बाद से ही कश्मीर में प्रतिबंध लगे हैं।
चरणबद्ध तरीके से हटाए जा रहे प्रतिबंध
स्थिति बेहतर होने के बाद कई जगह से चरणबद्ध तरीके से प्रतिबंध हटाए भी जा रहे हैं। अधिकारी हर शुक्रवार को संवेदनशील इलाकों में प्रतिबंध लगाते हैं। उनका कहना है कि निहित स्वार्थी तत्व बड़ी मस्जिदों तथा धार्मिक स्थलों पर अधिक संख्या में लोगों के इकट्ठे होने का फायदा उठा सकते हैं। इस बीच अधिकारियों ने बताया कि घाटी में लगातार 37वें दिन बंद के कारण जनजीवन प्रभावित रहा।
बाजार और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे। साथ ही सार्वजनिक वाहन सड़कों से नदारद रहे। कई अलगाववादी नेता अब भी हिरासत में हैं जबकि पूर्व मुख्यमंत्रियों फारुक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत मुख्यधारा के कई नेता या तो हिरासत में हैं या उन्हें नजरबंद रखा गया है।
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