नई दिल्ली। Jan Vishwas Bill : बुधवार को जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2023 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। सूत्रों के अनुसार अब छोटे अपराधों को अपराध की श्रेणी से मुक्त करने के लिए जन विश्वास विधेयक लाया गया है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने पिछले साल 22 दिसंबर को जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक लोकसभा में पेश किया था। इसके बाद बिल को संसद की संयुक्त समिति के पास भेज दिया गया था।
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समिति ने 19 मंत्रालयों या विभागों के साथ -साथ विधायी विभाग और कानूनी मामलों के विभागों के साथ विस्तृत चर्चा की है। समिति ने मार्च में रिपोर्ट अपनाई, जिसे उसी महीने राज्यसभा और लोकसभा के समक्ष रखा गया था। बता दे कि संसदीय पैनल ने केंद्र को व्यापार और जीवनयापन को आसान बनाने उद्देश्य से जन विश्वास विधेयक की तर्ज पर छोटे अपराधों को अपराध की श्रेणी से मुक्त करने के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया था।
समिति का सुझाव क्या था?
इसमें कहा गया था कि सरकार को प्रावधानों में संशोधन करना चाहिए, क्योंकि इससे अदालती मामलों के बैकलॉग को कम करने में मदद मिल सकती है। साथ ही समिति ने यह सिफारिश की थी कि मुकदमेबाजी में हो रही बढ़ोतरी से बचने के लिए जहां तक संभव हो कारावास की वजह जुर्माना लगाया जाए। इस विधेयक में छोटे-मोटे अपराधों को अपराधमुक्त करने की मांग के अलावा विश्वास-आधारित शासन को बढ़ावा देते हुए अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए मौद्रिक दंड को तर्कसंगत बनाने की भी परिकल्पना की गई है।
इन अधिनियमों में किया जा रहा संशोधन
औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940, सार्वजनिक ऋण अधिनियम 1944, फार्मेसी अधिनियम 1948, सिनेमैटोग्राफ अधिनियम 1952, कॉपीराइट अधिनियम 1957, पेटेंट अधिनियम 1970, पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 और मोटर वाहन अधिनियम 1988 समेत इत्यादि में संशोधन किया जा रहा है।
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