संसद की छवि पर हंगामे से पड़ता है असरः सुमित्रा महाजन

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सदन में हंगामा और कार्यवाही बाधित होने से लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन आहत तो हैं, लेकिन वह यह नहीं मानतीं इससे किसी तरह का आर्थिक नुकसान होता है। हालांकि पीएनबी घोटाले को लेकर हुए हंगामे के लिए उन्होंने कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया। कहा, कांग्रेस मामले में चर्चा की मांग कर रही थी और सरकार इस मुद्दे पर सदन में चर्चा के लिए तैयार थी, लेकिन उसने सदन नहीं चलने दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सदन में दोरंगा व्यवहार किया है।

तीन दिवसीय उत्तराखंड दौरे के अंतिम दिन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ऋषिकेश से हरिद्वार पहुंची। यहां उन्होंने परमार्थ आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी चिन्मयानंद से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने गंगातट पर बने शिव मंदिर में रुद्राभिषेक, पूजन और आरती के बाद संतों का आर्शीवाद ग्रहण किया। इस दौरान पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि तमाम बातचीत और सुझाव के बावजूद कांग्रेस ने सदन में ठीक बर्ताव नहीं किया है। उन्होंने कहा कि पीएनबी मसले में लेटर ऑफ अंडरटेकिंग का मामला वर्ष 2011 से चल रहा था। सदन की कार्यवाही में इसका उल्लेख ओवर द ईयर (वर्षों से) के रूप में किया गया। इसी को लेकर कांग्रेस को आपत्ति थी और इसी पर हंगामा हुआ।

हंगामे से संसद का होता है आर्थिक नुकसान

संसद में हंगामे को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि यह राजनीति का नहीं, आत्मानुशासन का मामला है। कावेरी जल विवाद का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश से जुड़े ऐसे मुद्दों को लेकर सदन की कार्यवाही को बाधित करना उचित नहीं है। कहा कि यह कहना उचित नहीं कि हंगामे से संसद का आर्थिक नुकसान होता है। कहा कि इस दौरान भी सदस्य अन्य जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं, लेकिन यह सही है कि हंगामे से संसद की छवि पर असर पड़ता है। इसलिए सदस्यों को अनुशासन का परिचय देना चाहिए। उन्होंने कहा कि आत्मानुशासन से ही ऐसे व्यवहार पर रोक लगेगी।

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