उत्तराखंड … स्थानान्तरण एक्ट के आधार पर किये जा रहे तबादलों से असंतुष्ट कर्मचारी, आंदोलन की राह चलने की चेतावनी

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रिपोर्ट … page3news.co.in देहरादून। उत्तराखंड कार्मिक, शिक्षक, आउटसोर्स संयुक्त मोर्चे के प्रांतीय संयोजक मंडल की संघ कार्यालय सहारनुपर रोड में हुई। बैठक में उŸाराखण्ड सरकार द्वारा लागू किये गये स्थानान्तरण एक्ट के आधार पर किये जा रहे स्थानान्तरणों पर चर्चा की गई। मुख्य संयोजक ठाकुर प्रहृलाद सिंह ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा स्थानान्तरण की अन्तिम तिथि 10 जून, 2018 थी। किन्तु मात्र 1 या 2 विभाग द्वारा ही निर्धारित तिथि में स्थानान्तरण करते हुए आदेश विभागीय अथवा निर्धारित वेबसाइट पर अपलोड कर दिये गये जबकि अन्य विभागों द्वारा बैकडैट में पत्रांक छोडकर स्थानान्तरण किये जा रहे हैं। जिन विभागों द्वारा निर्धारित तिथि के अन्तर्गत स्थानान्तरण किये गये हैं उनके द्वारा भी तमाम नियम विरूद्ध स्थानान्तरण करने की सूचना मिल रही है। जैसे कि कर विभाग द्वारा रात 1 बजे तक ऑनलाईन स्थानान्तरण की प्रक्रिया सम्पन्न करने के उपरान्त प्रातःकाल ही कार्यमुक्ति आदेश जारी कर दिये गये एवं उसी दिन सांय 5 बजे तक योगदान करने के निर्देश प्रभावित कार्मिकों को दिये गये हैं। इसी प्रकार ग्राम्य विकास विभाग में भी अपात्र कार्मिकों के स्थानान्तरण यथा- 55 वर्ष से अधिक उम्र के कार्मिक, चयनित पदाधिकारी आदि कर दिये गये। संयोजक सचिव रवि पचौरी ने आरोप लगाया विभागों द्वारा दुर्गम एवं सुगम कार्य स्थलों के कोटिकरण/चिन्हीकरण मंे भी तमाम गलतियां की गई हैं जैसे- एक ही स्थान एक विभाग के लिए दुर्गम एवं दूसरे के लिए सुगम की श्रेणी में रखा गया है। उक्त के अतिरिक्त विभिन्न विभागों द्वारा कार्य स्थल को दृष्टिगत न रखते हुए कार्यालय के आधार पर दुर्गम एवं सुगम स्थानों का कोटिकरण/चिन्हीकरण किया गया है जबकि मोर्चे के मानना है कि कार्यालय के स्थान पर कार्य स्थल को दृष्टिगत रखकर ही दुर्गम एवं सुगम कोटिकरण/चिन्हीकरण किया जाना चाहिए। क्योंकि किसी कार्मिक का कार्यालय सुगम में स्थापित हो सकता है। किन्तु उसका कार्यक्षेत्र दुर्गम में हो सकता है। बैठक में यह भी कहा गया कि स्थानान्तरण करने हेतु मुख्य सचिव, उत्तराखण्ड शासन द्वारा निर्धारित 10 प्रतिशत की सीमा का भी निर्धारण विभिन्न विभागों द्वारा पृथक-पृथक रूप से किया जा रहा है । जैसे कि कतिपय विभागों में कुल स्वीकृत पदों के 10 प्रतिशत कार्मिकों का स्थानान्तरण किया जा रहा है। जबकि स्थानान्तरण मात्र कार्यरत कार्मिकों की संख्या का 10 प्रतिशत किया जाना है। यहां तक कि गन्ना विभाग द्वारा 10 प्रतिशत स्थानान्तरण प्रदेश स्तर पर एवं 10 प्रतिशत स्थानान्तरण जनपद स्तर पर पृथक-पृथक किये जाने की सूचना है। इसी प्रकार शिक्षा विभाग में भी कोटिकरण को लेकर विवाद बना हुआ है। क्योंकि मिली जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग में अब तक 04 या 05 बार कोटिकरण किया जा चुका है। जिसको लेकर विभागीय कार्मिकों मंे अत्यधिक असंतोष है। सूचना के अनुसार आई0टी0आई0 में उपनल द्वारा योजित कार्मिकों का भी स्थानान्तरण कर दिया गया है जोकि सर्वथा नियम विरूद्ध है। सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि मोर्चे द्वारा स्थानान्तरण की आड में किये जा रहे विभिन्न प्रकार की विसंगतियों एवं मनमानियों की शिकायत मुख्य सचिव एवं अपर मुख्य सचिव, कार्मिक, उत्तराखण्ड शासन से की जायगी।यदि इस प्रकार की विसंगतियों एवं मनमानियों को समय रहते दूर नहीं किया गया तो न सिर्फ कार्मिकों के द्वारा विभिन्न प्रकार के वाद योजित किये जायेंगे वरन् साथ ही मोर्चे को भी मजबूर होकर अग्रिम रणनीति तय करनी पडेगी। बैठक में रामचन्द्र रतूड़ी, बनवारी सिंह रावत, इन्सारूलहक, अरूण पाण्डे, बीएस रावत, शक्ति प्रसाद भट्ट, ओमवीर सिंह, डॉ सोहन सिंह माजिला, जीएस नेगी, हरेन्द्र रावत, गजेन्द्र कपिल, एसपी राणाकोटी, एसपी गुप्ता, सतेन्द्र कुमार, गोविन्द सिंह नेगी, गुड्डी मटूड़ा आदि थे।]]>