Old pension Scheme लागू करने को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

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Old pension Scheme : केंद्र सरकार, कई मामलों में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को सशस्त्र बल मानने को तैयार नहीं थी। पुरानी पेंशन का मुद्दा भी इसी चक्कर में फंसा हुआ था। पहली जनवरी 2004 के बाद केंद्र सरकार की नौकरियों में भर्ती हुए सभी कर्मियों को पुरानी पेंशन के दायरे से बाहर कर दिया गया था…

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केंद्रीय अर्धसैनिक बलों (CAPF) में पुरानी पेंशन व्यवस्था (Old pension Scheme) लागू करने को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। श्रीनिवास शर्मा बनाम भारत सरकार केस में अदालत ने केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को ‘भारत संघ के सशस्त्र बल’ माना है। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में एनपीएस को स्ट्राइक डाउन करने की बात कही गई है। इन बलों में चाहे कोई आज भर्ती हुआ हो, पहले कभी भर्ती हुआ हो या आने वाले समय में भर्ती होगा, सभी जवान और अधिकारी, पुरानी पेंशन के दायरे में आएंगे।

केंद्र सरकार, कई मामलों में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को सशस्त्र बल मानने को तैयार नहीं थी। पुरानी पेंशन का मुद्दा भी इसी चक्कर में फंसा हुआ था। पहली जनवरी 2004 के बाद केंद्र सरकार की नौकरियों में भर्ती हुए सभी कर्मियों को पुरानी पेंशन के दायरे से बाहर कर दिया गया था। उन्हें एनपीएस में शामिल कर दिया गया। सीएपीएफ को भी सिविल कर्मचारियों के साथ पुरानी पेंशन से बाहर कर दिया। उस वक्त सरकार का मानना था कि देश में सेना, नेवी और वायु सेना ही सशस्त्र बल हैं।

बीएसएफ एक्ट 1968 में कहा गया है कि इस बल का गठन भारत संघ के सशस्त्र बल के रूप में किया गया था। इसी तरह सीएपीएफ के बाकी बलों का गठन भी भारत संघ के सशस्त्र बलों के रूप में हुआ है। कोर्ट ने माना है कि सीएपीएफ भी भारत के सशस्त्र बलों में शामिल हैं। इस लिहाज से उन पर भी एनपीएस लागू नहीं होता। सीएपीएफ में कोई व्यक्ति चाहे आज भर्ती हुआ हो, पहले हुआ हो या भविष्य में हो, वह पुरानी पेंशन का पात्र रहेगा।

पुरानी पेंशन योजना को लेकर ‘स्टाफ साइड’ की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सचिव शिव गोपाल मिश्रा की अध्यक्षता में सात जनवरी को नई दिल्ली में हुई एक बैठक में ओपीएस बहाली की मांग को लेकर कई बड़े फैसले लिए गए हैं। इस बैठक में कॉन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस मार्टियर्स वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव रणबीर सिंह भी शामिल हुए। बैठक में तय हुआ है कि पुरानी पेंशन के मुद्दे पर जो आंदोलन होगा, वह केवल दिल्ली में नहीं, बल्कि राज्यों की राजधानियों और जिला स्तर तक किया जाएगा। 21 जनवरी को नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्सन (एनजेसीए) की नेशनल कन्वेंशन की बैठक होगी।

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