World Press Freedom Day 2022: प्रेस की स्वतंत्रता को दर्शाता है प्रेस फ्रीडम डे

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नई दिल्‍ली।  World Press Freedom Day 2022: किसी भी लोकतांत्रिक देश में प्रेस की आजादी का मतलब अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता से है। यूं कहा जाए कि यह दोनों एक दूसरे के पूरक है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। किसी देश में प्रेस की स्‍वतंत्रता का मुल्‍यांकन का यही आधार भी है। किसी देश में प्रेस की आजादी का पैमाना उक्‍त देश के नागरिकों की अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता से लगाया जाता है। विश्‍व प्रेस स्‍वतंत्रता दिवस (World Press Freedom Day 2022) का मतलब दुनिया में प्रेस की आजादी के प्रति जागरूकता फैलाना है। नए प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में चार स्कैंडेनेवियाई देशों को पत्रकारों के लिए सबसे बेहतर माना गया है। जानिए रिपोर्टस विदाउट बार्डर्स के इंडेक्स में कौन कहां है। क्‍या है रिपोर्टस विदाउट बार्डर्स के इंडेक्स।

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नार्वे : दुनिया भर में प्रेस की स्वतंत्रता  के मामले में नार्वे पहले स्थान पर कायम है। हालांकि, दुनिया में जब भी बात लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आती है तो नार्वे कई वर्षों से सबसे ऊंचे पायदानों पर रहा है। प्रेस की स्‍वतंत्रता के लिए हाल में नार्वे की सरकार ने एक आयोग का गठन किया है। इसका मकसद देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की परिस्थितियों की व्यापक समीक्षा करना है। यह आयोग अपने सुझाव व रिपोर्ट सरकार को देती है।

फ‍िनलैंड : प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में दूसरे स्‍थान पर फ‍िनलैंड है। रूस यूक्रेन युद्ध के दौरान भी फ‍िनलैंड चर्चा में रहा है। फ‍िनलैंड उत्‍तरी यूरोप का एक प्रमुख देश है। आर्कटिक से सटे इसे इलाके में रूस ने फिनलैंड और स्‍वीडन की सीमा के पास मिसाइलें और अन्‍य घातक जंगी हथियार तैनात किए हैं। दरअसल, दशकों तक तटस्‍थ रहने वाले फिनलैंड ने खुलकर संकेत दे दिया है कि वे उत्‍तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल होने जा रहे हैं। फिनलैंड की प्रधानमंत्री साना मारिया के इस संकेत के बाद रूस भड़क गया है और उसने न केवल मिसाइलें तैनात कर दी हैं, बल्कि फ‍िनलैंड को चेतावनी दी है।

डेनमार्क : डेनमार्क प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में एक साल पहले के मुकाबले दो पायदान की छलांग के साथ पांचवें से तीसरे स्थान पर पहुंचा है। 2015 के इंडेक्स में भी उसे तीसरे स्थान पर रखा गया था, लेकिन राजधानी कोपेनहागेन के करीब 2017 में स्वीडिश पत्रकार किम वाल की हत्या के बाद उसने अपना स्थान खो दिया था।

क्‍या है इंडेक्‍स का वैश्विक परिदृश्य

1- इस इंडेक्‍स के मुताबिक वैश्विक परिदृश्‍य में पत्रकारिता सूची में शामिल लगभग 73 फीसद देश स्वतंत्र मीडिया से पूरी तरह से या आंशिक रूप से अवरुद्ध है। सूचकांक 180 देशों में से केवल 12 यानी सात फीसद में पत्रकारिता के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करने का दावा कर सकता है। इसमें कहा गया था कि राष्ट्रों द्वारा कोरोना महामारी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिये सूचना तंत्र का उपयोग पूर्ण रूप से किया गया। 2021 की रिपोर्ट में मुख्य रूप से एशिया-प्रशांत क्षेत्र के बारे में चिंता व्यक्त की गई है। इसमें कहा गया था कि प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के प्रयास में कई राष्ट्रों ने ‘राजद्रोह,’ ‘राष्ट्र की गोपनीयता’ और ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ पर कठोर कानून बनाए हैं।

2- इस सूचकांक में नार्वे लगातार पांच वर्षों से पहले स्थान पर है, इसके अतिरिक्त दूसरा स्थान फिनलैंड को और तीसरा स्थान डेनमार्क को प्राप्त हुआ। इरीट्रिया, सूचकांक में सबसे निचले स्थान (180) पर है, इसके बाद चीन 177वें, और उत्तरी कोरिया 179वें और तुर्कमेनिस्तान 178वें स्थान पर है। किम जोंग उन के शासन वाले उत्तर कोरिया में पूरी तरह से निरंकुश शासन है। वहां सिर्फ सरकारी मीडिया है, जो सरकार कहती है, वही वह कहता है। इरीट्रिया और तुर्कमेनिस्तान में भी मीडिया वहां की सरकारों के नियंत्रण में ही है।

क्‍या है विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक

वरिष्‍ठ पत्रकार एवं लेखक अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि रिपोर्टर्स सेन्स फ्रंटियर्स या रिपोर्टर्स विदाउट बार्डर्स आरएसएफ द्वारा जारी ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक’ (World Press Freedom Day 2022) का प्रथम संस्करण वर्ष 2002 में प्रकाशित किया गया था। उन्‍होंने कहा कि पेरिस स्थित रिपोर्टर्स विदाउट बार्डर्स एक अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी, गैर-लाभकारी संगठन है। यह सार्वजनिक हित में संयुक्त राष्ट्र, यूनेस्को, यूरोपीय परिषद, फ्रैंकोफोनी के अंतरराष्ट्रीय संगठन ओआईएफ और मानव अधिकारों पर अफ्रीकी आयोग के साथ सलाहकार की भूमिका निभाता है।

दरअसल, ओआईएफ एक 54 फ्रेंच भाषी राष्ट्रों का समूह है। यह सूचकांक पत्रकारों के लिए उपलब्ध स्वतंत्रता के स्तर के अनुसार 180 देशों और क्षेत्रों को रैंक प्रदान करता है। यह सार्वजनिक नीतियों की रैंकिंग नहीं करता है, भले ही सरकारें स्पष्ट रूप से अपने देश की रैंकिंग पर एक बड़ा प्रभाव डालती हैं। हालांकि यह पत्रकारिता की गुणवत्ता का सूचक नहीं है। यह सूचकांक बहुलवाद के स्तर, मीडिया की स्वतंत्रता, मीडिया के लिये वातावरण और स्वयं-सेंसरशिप, कानूनी ढांचे, पारदर्शिता के साथ-साथ समाचारों और सूचनाओं के लिए मौजूद बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता के आकलन के आधार पर तैयार किया जाता है।

चीन में प्रेस आजादी के क्‍या है मायने

1- चीन में मीडिया की आजादी बहुत तेजी से घटती जा रही है। विदेशी पत्रकारों के एक समूह फारेन कारेस्‍पन्‍डेंट क्लब (एफसीसी) की ओर से जारी रिपोर्ट में ये बात सामने आई है। एफसीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि वहां पत्रकारों को शारीरिक हमले, हैकिंग, आनलाइन ट्रोलिंग और वीजा से इनकार का सामना करना पड़ता है। चीन और हांगकांग में स्थानीय पत्रकारों को भी निशाना बनाया जा रहा है।

2- खास बात यह है कि यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई थी, जब दुनिया भर का मीडिया बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक पर फोकस बनाए हुए था, बीजिंग ओलंपिक पहले ही शिनजियांग में मानवाधिकारों के कथित हनन और हांगकांग में की गई कार्रवाई के कारण विवादों के घेरे में था। रिपोर्ट के मुताबिक विदेशी पत्रकारों को चीन में इतने गंभीर रूप से परेशान किया जा रहा है कि कई संवाददाता चीन छोड़ चुके हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक विदेशी पत्रकारों के चीनी सहयोगियों और उनके परिवारों को भी चीनी अधिकारियों की ओर से डराया धमकाया जाता है। चीनी मूल की आस्ट्रेलियाई पत्रकार चेंग लेई और चीनी पत्रकार हेज फैन जैसे अन्य पत्रकारों को राज्य सुरक्षा मामलों में शामिल होने के आरोप में एक साल से अधिक समय से हिरासत में रखा गया है।

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