खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘स्थानीय उत्पादों के लिए मुखर’ बनने और इसे “वैश्विक” बनाने के लिए किए गए आह्वान के प्रति कमर कस लिया है। स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहन देने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा की गई अपील के एक दिन बाद, केवीआईसी ने प्रमुख कार्यक्रम पीएमईजीपी के अंतर्गत परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए दिशा-निर्देशों को जारी किया है।
समय-सीमा को घटाकर 15 दिन करने का भी निर्देश
केवीआईसी के अध्यक्ष, श्री विनय कुमार सक्सेना ने आज संबंधित एजेंसियों को पीएमईजीपी के अंतर्गत आने वाले आवेदनों की जांच करने और 26 दिनों के अंदर धन का वितरण करने के लिए उन्हें बैंकों को भेजने का निर्देश दिया है। उन्होंने इसकी समय-सीमा को घटाकर 15 दिन करने का भी निर्देश दिया है।
एजेंसियों के लिए, प्रस्ताव तैयार करने में आवेदकों का मार्गदर्शन करना और ऋण की स्वीकृति होने तक उनकी सहायता करना अनिवार्य होगा। सभी एजेंसियां ऋण की जल्द से जल्द मंजूरी प्राप्ति के लिए बैंकों के साथ आगे की कार्यवाही करेंगी।
दैनिक आधार पर आवेदन के प्रक्रिया की निगरानी
संशोधित दिशा-निर्देशों के अनुसार, मुंबई में केवीआईसी का मॉनिटरिंग सेल दैनिक आधार पर आवेदन के प्रक्रिया की निगरानी करेगा जबकि वह प्रत्येक पखवाड़े में क्रियान्वयन एजेंसियों को फीडबैक प्रदान करेगा। इसके बाद, प्रगति रिपोर्ट को केवीआईसी के सीईओ और चेयरमैन के सामने अवलोकन के लिए रखा जाएगा।
अधिक से अधिक रोजगार का सृजन सुनिश्चित किया जा सकेगा
श्री सक्सेना ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा स्थानीय उत्पादनों को प्रोत्साहित करने की अपील के मद्देनजर संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा, “जैसा कि प्रधानमंत्री ने कहा है, ‘आत्म-निर्भरता’ ही मंत्र है। पीएमईजीपी के अंतर्गत प्रक्रियाओं को सुविधाजनक बनाने से स्थानीय विनिर्माण के विकास में और तेजी आएगी।
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इसके माध्यम से कम से कम समय-सीमा के अंदर, अधिक से अधिक रोजगार का सृजन सुनिश्चित किया जा सकेगा।” सक्सेना ने कहा कि खादी एवं ग्रामोद्योग का स्थानीय रूप से वैश्विक रूप में परिवर्तन, अन्य स्थानीय उद्योगों और उद्यमों के लिए एक गहन अध्यन का विषय होगा। उन्होंने कहा कि, “केवीआईसी एक नोडल एजेंसी के रूप में, पीएमईजीपी के अंतर्गत आने वाली आगामी परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।”
स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि प्रत्येक जिले में एन95 मास्क, वेंटिलेटर या उनका सामान, चिकित्सा कर्मचारियों के लिए पीपीई किट, सैनिटाइजर/ लिक्विड हैंड वॉश, थर्मल स्कैनर और अगरबत्ती और साबुन के निर्माण से संबंधित कम से एक इकाई स्थापित की जाएगी। यह देश में मौजूदा कोविड-19 के संकट के कारण बढ़ती हुई मांग को पूरा करने के लिए है।
संशोधित दिशा-निर्देशों के अनुसार, जांच के दौरान कार्यान्वयन एजेंसियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि आवेदक ने 100 अंकों की तालिका में कम से कम 60 अंक प्राप्त किया है। इसी प्रकार, कच्चे माल की उपलब्धता, जनशक्ति, परिवहन और बिजली तक पहुंच जैसी तकनीकी व्यवहार्यता की भी जांच की जानी चाहिए, जिससे कि बैंक के स्तर पर अस्वीकृति को कम किया जा सके।
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इसी प्रकार, कार्यान्वयन एजेंसियों को बाजार का अध्ययन, प्रस्तावित उत्पाद की मांग का आंकलन, आसपास के इलाकों में इसी प्रकार के उत्पादों से संबंधित परियोजनाएं और बाजार की रणनीति की भी जांच करनी होगी। एजेंसियां यह सुनिश्चित करेंगी कि यह प्रस्ताव चयनित बैंक के अधिकार क्षेत्र में आता है, जिससे कि क्षेत्राधिकार को आधार बनाकर इसकी अस्वीकृति नहीं की जा सके।