गुजरात में लगेगा Flying Cars का पहला प्लांट! जानें- कीमत, रफ्तार और अन्य विशेषताएं

1167
page3news-flying-car2
page3news-flying-car2

नई दिल्ली:दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश भारत में सड़क पर लगने वाला जाम आम बात है। सड़कें जिस तेजी से बन रही हैं, नई गाड़ियों के सड़क पर उतरने की रफ्तार उससे कहीं ज्यादा है। भीषण जाम में फंसे होने के दौरान आपने भी कई बार सोचा होगा कि काश मेरे पास उड़ने वाली कार होती तो यूं जाम में फंसकर रेंगना न पड़ता। ऐसे में पिछले दिनों गुजरात में जब फ्लाइंग कार (उड़ने वाली कार) का प्लांट लगने की चर्चा चली तो लोगों की रुचि इसमें और बढ़ गई। लेकिन क्या आप जानते हैं कि फिलहाल कहां पर फ्लाइंग कारों का इस्तेमाल हो रहा है और ये कितनी सफल हैं।

आतंकवाद पर इमरान का बड़ा खुलासा, पाकिस्‍तान ने 1980 में जेहादियों को किया तैयार, अमेरिका ने दिया पैसा

कब होगी शुरूआत

कंपनी ने दिसंबर-2018 से इन कारों की प्री-बुकिंग शुरू कर दी है। कंपनी अधिकारियों का दावा है कि वह 2020 तक अपने पहले ग्राहक को पहली फ्लाइंग कार मुहैया करा सकती है। यही वजह है कि कंपनी जल्द से जल्द अपना प्लांट सेटअप करना चाहती है।

2024 तक खरबों का होगा बाजार

गुजरात मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद डच कंपनी के अधिकारियों ने बताया था कि वह अन्य राज्यों में भी प्लांट के लिए बेहतर विकल्प की तलाश कर रहे हैं। कंपनी के अधिकारियों का मानना है कि वर्ष 2040 तक दुनिया भर में फ्लाइंग कार का बाजार डेढ़ ट्रिलियन डॉलर (1068 खरब रुपये से ज्यादा) का होगा। कंपनी अधिकारियों के अनुसार फ्लाइंग कार का भविष्य बेहतरीन है। इस दिशा में तमाम देशों में लगातार खोजें और ट्रायल चल रहे हैं।

तीन देशों से शुरू होगी बिक्री

कार की बुकिंग शुरू करने के साथ कंपनी के अधिकारियों ने बताया था कि शुरूआत में यह कार ब्रिटेन, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में उपलब्ध कराई जाएगी। हालांकि, भारत में इसका प्लांट लगने की खबरों के साथ ही एशियाई देशों में भी इसके जल्द उपलब्ध होने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। इन कारों को यूके में चलाना और उड़ाना कानूनी होगा। इसे यूरोपीय विमानन सुरक्षा एजेंसी केनियमों के तहत प्रमाणित किया जाएगा।

क्या होगी उड़ने वाली कारों की कीमत

फ्लाइंग कार का सपना तो कोई भी देख सकता है, लेकिन इसके शुरूआती दौर में इसे खरीदना हर व्यक्ति के बस की बात नहीं होगी। डच कंपनी PAL-5 के अनुसार उनकी फ्लाइंग कार की शुरूआती कीमत भारतीय मुद्रा में तकरीबन तीन करोड़ रुपये होगी। कंपनी ने अब तक 3.20 लाख पाउंड (करीब तीन करोड़ रुपये) कीमत पर फ्लाइंग कारों की प्री-बुकिंग की है। कंपनी के अनुसार फ्लाइंग कार के उत्पादन और तकनीक पर वह अब तक 550 करोड़ रुपये का निवेश कर चुकी है।

जापानी कंपनी ने भी पिछले माह पेश की थी फ्लाइंग कार

अगस्त 2019 में जापानी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी एनईसी कॉर्प ने भी फ्लाइंग कार (उड़ने वाली कार) पेश की थी। कंपनी ने इस कार के परीक्षण की रिपोर्ट पेश की थी। इसमें बताया गया था कि परीक्षण के दौरान ये कार 10 फुट की ऊंचाई तक जाने में सफल रही थी। एनईसी का दावा है कि उनकी फ्लाइंग कार को मानवरहित फ्लाइट्स के लिए डिजाइन किया गया है। टोक्यो स्थित एनईसी के सेंटर में हुए परीक्षण में ये कार तीन मीटर की ऊंचाई तक गई थी। ये कार देखने में एक बड़े ड्रोन की तरह है, जिसमें चार पंखे (प्रोपेलर) लगे हुए हैं। जापान सरकार भी इन फ्लाइंग कार को बनाने में सहयोग कर रही है।

2023 में ऊबर शुरू करेगी एयर फ्लाइट्स

एक तरफ दुनिया भर में फ्लाइंग कारों को लेकर तेजी से खोज और परीक्षण चल रहे हैं, दूसरी तरफ एप बेस्ड कैब कंपनी ऊबर ने वर्ष 2023 तक अपनी एयर फ्लाइट्स शुरू करने की घोषणा की हुई है। कंपनी के अनुसार 2023 से वह अपनी एयर फ्लाइट्स के कमर्शियल ऑपरेशस शुरू करने जा रही है।

US में भी शुरू हो चुकी है बुकिंग

अक्टूबर 2018 से अमेरिका में भी फ्लाइंग कार टेराफुगिया ट्रांजिशन की प्री-बुकिंग शुरू हो चुकी है। इसकी कीमत भी 3 से 4 लाख अमेरिकी डॉलर (करीब तीन करोड़ रुपये) तक हो सकती है। इस कार में चार लोग बैठ सकते हैं। टेराफुगिया ट्रांजिशन कार एक बार में हवा में 640 किलोमीटर तक उड़ सकती है। हवा में इसकी अधिकतम रफ्तार 160 किमी प्रति घंटा होगी। फ्लाइंग मोट के लिए इसमें एक बूस्टर मोड दिया गया है। टेराफुगिया की स्थापना 2006 में अमेरिका के प्रसिद्ध मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्रों ने की थी। बाद में वोल्वो की मूल कंपनी गेली ने 2017 में इसका अधिग्रहण कर लिया था। ये कार अमेरिका के राष्ट्रीय राजमार्ग और यातायात सुरक्षा प्रशासन मानकों को भी पूरा करती है।

भारत में Flying Cars का भविष्य

फ्लाइंग कार यानी उड़ने वाली कार में बैठकर दिल्ली से लखनऊ तक की दूरी को दो घंटे से भी कम समय में तय किया जा सकता है। दिल्ली से जयपुर की दूरी एक घंटे में पूरी की जा सकती है, वो भी बिना जाम में फंसे। अब सवाल उठता है, क्या ये इतना आसान है? इसका जवाब है, बिल्कुल नहीं। जी हां, भारतीय वाहन चालकों में ट्रैफिक नियमों के प्रति लापरवाही या जानकारी का अभाव जगजाहिर है। इसके अलावा कई तकनीकी दिक्कतें भी हैं। भारत के ज्यादातर शहरों में बिजली के तार फ्लाइंग कारों के लिए बड़ी चुनौती साबित होंगे, क्योंकि इन्हें एक निश्चित ऊंचाई तक ही उड़ाया जा सकता है।

Flying Cars की रफ्तार व माइलेज

थ्री-व्हीलर फ्लाइंग कार सड़क पर एक बार में 1287 किमी चल सकती है।
हवा में ये कार एक बार में 482 किलोमीटर तक उड़ सकती है।
इसका फ्यूल टैंक 100 लीटर का होगा और इसे पेट्रोल से चलाया जा सकेगा।
सड़क पर इसकी रफ्तार 160 किमी प्रति घंटा तक होगी।
हवा में इसकी रफ्तार 180-190 किमी प्रति घंटा तक होगी।

SCO देशों के मिलिट्री मेडिसिन कॉन्फ्रेंस में नहीं पहुंचा पाकिस्तान, राजनाथ सिंह ने आतंकवाद को बताया खतरा

Leave a Reply