धोनी अकेले नहीं, 40 हजार लोग काम से ब्रेक लेकर बनते हैं ऐसा सैनिक

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नई दिल्ली :आतंकियों के कब्जे में होने के बावजूद उनकी आंखों में आंखें डाल जवाब देने वाले राइफलमैन औरंगजेब याद हैं। शहीद औरंगजेब को उनकी बहादुरी और बलिदान के लिए पिछले साल शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। वह कश्मीर में आतंकियों से मुकाबला कर रही भारतीय सेना के अहम हिस्से ‘टेरिटोरियल आर्मी’ में थे। वही टेरोटोरियल आर्मी यानी टीए जिसमें क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी ऑनरेरी लेफ्टिनेंट कर्नल हैं और आजकल कश्मीर में अपनी यूनिट के साथ ट्रेनिंग कर रहे हैं।

क्या है टेरिटोरियल आर्मी

टेरिटोरियल आर्मी (टीए) आर्मी का ही हिस्सा है। आर्मी को जहां भी जरूरत होती है टीए अपनी यूनिट उपलब्ध कराती है। कश्मीर में वहां के लोगों के लिए ही टेटोरियल आर्मी बनाई है। यह टीए कश्मीर में आतंकियों से लड़ने वाली अहम फोर्स है।

कौन हो सकता है शामिल

टेरिटोरियल आर्मी में 18 से 42 साल के उम्र के नागरिक जो ग्रेजुएट हों, शारीरिक-मानसिक तौर पर फिट हों, वह लेफ्टिनेंट के तौर पर शामिल हो सकते हैं। इसमें शामिल होने की यह शर्त भी है कि आपके पास अपना कमाई का जरिया होना चाहिए। यह वॉलंटियर सर्विस है, पक्की नौकरी नहीं। जब तक जरूरत होगी सर्विस देने को कहा जा सकता है। ऐसा नहीं है कि रिटायर होने तक जॉब में रहेंगे।

कई युद्धों में अहम योगदान

जम्मू-कश्मीर और पंजाब में ऑपरेशन रक्षक, नॉर्थ ईस्ट में ऑपरेशन राइनो और ऑपरेशन बजरंग में सक्रिय रूप से हिस्सेदारी थी। टेरिटोरियल आर्मी के जवान और अफसर वीरता पुरस्कार और सर्विस अवॉर्ड से भी सम्मानित किए गए हैं।

सेना को कई सम्मान मिले हैं

  • 5 अतिविशिष्ट सेवा मेडल
  • 5 वीर चक्र
  • 4 शौर्य चक्र
  • 1 युद्ध सेवा मेडल
  • 72 सेना मेडल
  • 26 विशिष्ट सेवा मेडल

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