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रिस्पना नदी के पुनर्जीवीकरण की चैथी राउंड टेबल बैठक में विभिन्न विभागों ने नदी को पुनर्जीवित करने संबंधी अपने-अपने प्रस्ताव रखे। मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) के मुताबिक रिस्पनी नदी की जमीन पर काबिज 2360 परिवारों को चिह्नित किया गया है। इन्हें यहां से हटाकर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अन्यत्र आवास मुहैया कराए जा सकते हैं। एमडीडीए उपाध्यक्ष डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि इस संबंध में सोमवार तक कार्ययोजना प्रस्तुत कर दी जाएगी।
बुधवार को मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान (एनआइएच) रुड़की की उस रिपोर्ट पर भी अमल करने को हामी भरी गई, जिस पर मेकिंग ए डिफ्रेंस बाय बीइंग द डिफ्रेंस (मैड) संस्था अमल करने पर बल दे रही थी।
मैड के संस्थापक अध्यक्ष अभिजय नेगी ने कहा कि एनआइएच ने एक प्रारंभिक सर्वे में यह माना गया था कि यह बारामासी नदी है और इसे पुनजीर्वित करने को और अध्ययन की जरूरत है। मुख्य सचिव ने कहा कि एनआइएच से जल्द अध्ययन कराया जाएगा और इस काम के लिए एक वर्ष का समय तय किया जाएगा। साथ ही कहा कि एनआइएच के अध्ययन करने तक नदी पर किसी भी तरह का पक्का निर्माण नहीं किया जाएगा।
180 बड़े नालों को भी सीवर लाइन से जोडने का दिया प्रस्ताव
वहीं, जल निगम के अधिकारियों ने कहा कि जो नाले रिस्पना नदी में गिर रहे हैं, उन्हें ट्रंक सीवर में डाला जाएगा। इसके साथ ही 180 बड़े नालों को भी सीवर लाइन से जोडने का प्रस्ताव दिया गया। बैठक में प्रमुख सचिव सिंचाई आनंद वर्धन, सचिव पेयजल एएस ह्यांकी, नगर आयुक्त विजय जोगदंडे, जिलाधिकारी एसए मुरूगेशन आदि उपस्थित रहे।
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