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किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए सरकार ने समर्थन मूल्य को डेढ़ गुना करने का फैसला किया है। इसी के साथ किसानों की बहुप्रतीक्षित मांग स्वीकार कर ली गई है। कृषि क्षेत्र की सबसे बड़ी मुश्किल उपज का लाभकारी मूल्य दिलाना है। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में आम बजट पेश करते हुए इस दिशा में कई और बड़ी घोषणाएं की हैं।
वित्त मंत्री जेटली ने अपनी इस घोषणा से एक तीर से दो निशाना साधा है। केंद्र की राजग पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान कृषि उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य को दोगुना बढ़ाने का ऐलान किया था। लेकिन बीते रबी सीजन तक यह वायदा पूरा नहीं किया जा सका है। इसे लेकर सरकार हमेशा विपक्ष के निशाने पर रही है।
पूरा हुआ चुनावी वादा
बजट भाषण में वित्तमंत्री ने माना है कि उनके दल ने खेती को लाभकारी बनाने के लिए अपने घोषणा पत्र में इस संकल्प को शामिल किया था। किसानों को उनकी उत्पादन लागत से कम से कम 50 फीसद अधिक मूल्य प्राप्त हो। सरकार ने संवेदनशीलता दिखाते हुए इसे स्वीकार कर लिया है। सरकार ने किसानों के पक्ष में किये गए इस फैसले को ऐतिहासिक करार दिया है। जेटली ने माना कि वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करने की दिशा यह महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
उपज का बेहतर मूल्य दिलाने के लिए जरूरी है कि किसानों को बुवाई पहले यह बताना जरूरी है कि उन्हें उनकी उपज का मूल्य क्या मिलेगा? उपज की मांग, संभावित मूल्य का पूर्वानुमान, भावी व वैकल्पिक बाजार और भंडारगृह की उपलब्धता का स्पष्ट जानकारी किसानों को मिलनी चाहिए। अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्थिति और आयात व निर्यात संबंधी फैसले से पहले संबंधित मंत्रालयों से मशविरा करने का तंत्र सृजित किया जाएगा।
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