आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों से निपटने की जरूरत: सेना प्रमुख बिपिन रावत

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भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने बुधवार को कहा कि डोकलाम में चीन सैनिक अभी भी मौजूद हैं, लेकिन उतनी संख्या में नहीं, जितनी संख्या में पहले थे। यह कोई गंभीर मामला नहीं है। रायसीना डायलॉग में संबोधित करते हुए जनरल रावत ने कहा, डोकलाम के एक क्षेत्र में चीनी सैनिक मौजूद हैं, हालांकि, ये उतनी संख्या में नहीं हैं, जो शुरुआत में थे। उन्होंने कुछ इंफ्रास्ट्रक्चर डिवलपमेंट का काम किया है, लेकिन वे ज्यादातर अस्थाई हैं। साथ ही उन्होंने कहा, हो सकता है कि सर्दी की वजह से चीनी सैनिक अपने उपकरण साथ ना लेकर गए हों, ऐसे में वे वापस आ सकते हैं। अगर वे वापस आते हैं तो हमारे सैनिक उनका सामना करने के लिए वहां मौजूद हैं।

साथ ही जनरल रावत बोले, दोनों देशों में तनाव कम करने के लिए जो तरीका अपनाया गया था, वह अच्छे से काम कर रहा है। डोकलाम के बाद हम लोगों ने दोनों देशों के सैनिकों के बीच संवाद शुरू किया था। हम लोग नियमित तौर पर बैठक कर रहे हैं और जमीनी स्तर पर दोनों तरफ के कमांडर नियमित तौर पर संपर्क में रहते हैं।

आतंकवाद को नए युद्ध के तरीके के तौर पर स्वीकार नहीं

इसके साथ ही जनरल बिपिन रावत ने कहा कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों से निपटने की जरूरत है और यदि दुनिया आतंकवाद को खत्म करने के लिए हाथ नहीं मिलाती तो यह समस्या बनी रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि जो देश आतंकवाद से पीड़ित हैं, उन्हें अपनी लड़ाई खुद लड़नी है। साथ ही आतंकवाद के वित्त पोषण को रोकने पर जोर दिया और आतंकवादियों के हाथों में पड़ने वाले परमाणु, जैविक व रासायनिक हथियारों को लेकर चिंता जताई। उन्होंने आतंकवाद के प्रचार को रोकने के लिए इंटरनेट को नियंत्रित करने का समर्थन किया।

सेना प्रमुख ने कहा कि आतंकवाद को नए युद्ध के तरीके के तौर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता और उन्होंने वैश्विक समुदाय से इसका सामना करने का आग्रह किया। पाकिस्तान का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा, अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए आतंकवाद का समर्थन करने वाले राष्ट्र से सबसे पहले निपटने की जरूरत है। भारत पाकिस्तान पर जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवादी समूहों को समर्थन देने का आरोप लगाता रहा है।

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