नई दिल्ली। Jobs in germany for indians : यूरोप में आर्थिक तौर पर सबसे शक्तिशाली देश जर्मनी ने अपने जॉब मार्केट को भारतीयों के लिए खोल दिया है। जर्मन सरकार ने फैसला किया है कि वह हर साल 90 हजार भारतीयों को काम करने का वीजा देगी। अभी तक इस श्रेणी में 20 हजार भारतीयों को वीजा मिलता था।
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वीजा देने की संख्या आने वाले दिनों में बढ़ाई भी जा सकती है। इस बात की जानकारी भारत के दौरे पर आए जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने दी। शुक्रवार को उनकी पीएम नरेन्द्र मोदी से मुलाकात हुई और द्विपक्षीय संबंधों के तमाम आयामों पर बात हुई। पीएम मोदी ने जर्मनी की इस घोषणा की जानकारी दी और इसका स्वागत किया।
वीजा की संख्या, 20 हजार से बढ़ाकर 90 हजार करने का फैसला किया
जर्मन व्यवसायों के 18वें एशिया प्रशांत सम्मेलन (एपीके- 2024) में पीएम मोदी ने कहा कि जर्मनी ने प्रशिक्षित भारतीयों के लिए हर वर्ष मिलने वाले वीजा की संख्या, 20 हजार से बढ़ाकर 90 हजार करने का फैसला किया है। मुझे विश्वास है कि इससे जर्मनी की ग्रोथ को नई गति मिलेगी। गौरतलब है कि जर्मनी ना सिर्फ यूरोप की सबसे बड़ी इकोनॉमी है, बल्कि इसकी आर्थिक विकास दर की संभावनाएं भी यूरोप के अन्य देशों के मुकाबले सबसे अच्छी है।
यूरोप के दूसरे देश जहां अवैध प्रवासी समस्या और आर्थिक मंदी से जूझ रहे हैं, वहीं जर्मनी मजबूत स्थिति में है, लेकिन उसे तेज आर्थिक विकास दर की रफ्तार बनाये रखने के लिए श्रम चाहिए, जिसकी पूर्ति अभी सिर्फ भारत करने की स्थिति में है। चासंलर शोल्ज भारत व जर्मनी के रिश्तों को मजबूत करने को खासी प्राथमिकता पर लेते हैं। उनकी गठबंधन सरकार की सरकार चलाने संबंधी प्रपत्र में भारत के खास तौर पर किया गया है।
भारत को लेकर जर्मनी का विशेष प्रपत्र
भारत आने से पहले शोल्ज की कैबिनेट ने फोकस ऑन इंडिया नाम से एक प्रपत्र को मंजूरी दी है। भारत सिर्फ दूसरा देश है, जिसके साथ संबंधों को लेकर विशेष प्रपत्र जर्मनी ने जारी किया है। इस प्रपत्र में भारत के सकुशल व पेशेवर कामगारों को जर्मनी में अवसर देने का विस्तार से जिक्र किया गया है। जर्मनी पिछले चार-पांच वर्षों से भारतीयों कामगारों को आकर्षित कर रहा है। इस वजह से वहां भारतीय समुदाय के लोगों की संख्या दोगुनी होकर 2.50 लाख हो चुकी है।
जर्मनी को चाहिए हर साल चार लाख पेशेवर
जर्मनी के श्रम व सामाजिक मामलों के मंत्री हुबेर्टस हील ने बताया, ‘जर्मनी को हर साल चार लाख पेशेवर कामगार चाहिए और इसमें से बड़ी संख्या भारत से ली जाएगी। भारतीय कामगारों को पूरी दुनिया में इज्जत है और जर्मनी का अनुभव बहुत बेहतर है।’ गुरुवार को भारत और जर्मनी के बीच आठ समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं, जिसमें श्रम व रोजगार को लेकर भी है।