नई दिल्ली। अमेरिका के बाद दुनिया की एक और बड़ी शक्ति रूस ने भी भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति का फैसला किया है। रूस दशकों से भारत के रक्षा उपकरणों का आपूर्ति करता रहा है और अब ऊर्जा सुरक्षा में भी उसका साथ मिला है। बुधवार को रूस की दिग्गज कंपनी रोजनेफ्ट ने भारतीय तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आइओसीएल) से हाथ मिलाया है। समझौते के मुताबिक रोजनेफ्ट भारत को सालाना 20 लाख टन कच्चे तेल का निर्यात करेगी।
पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में इसे एक बड़ा कदम बताते हुए कहा है कि यह भारत-रूस के रिश्तों को भी मजबूत करेगा। उन्होंने भरोसा जताया कि इंडियन ऑयल और रोजनेफ्ट मिलकर तेल व गैस क्षेत्र में परस्पर सहयोग को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे। रोजनेफ्ट के सीईओ इगोर सेचिन के नेतृत्व में एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल आया हुआ है।
दरअसल, भारत ने पिछले कुछ वर्षो में ऑयल सेक्टर को लेकर अपनी रणनीति बदली है। उज्जवला, सिटी गैस वितरण समेत स्मार्ट सिटी परियोजना में क्रूड ऑयल और गैस की भागीदारी बढ़ाने के लिए भारत की कोशिश है कि क्रूड ऑयल की निर्भरता सिर्फ खाड़ी देशों पर न रहे। यही वजह है कि तेल और गैस के निर्यात के लिए भी भारत ने रूस जैसे पुराने सहयोगियों के साथ सहयोग का दायरा बढ़ाया है।
ख़ास बात यह है कि इसके बदले भारत, रूस के तेल और गैस से जुड़ी परियोजनाओं में निवेश भी कर रहा है। इस सिलसिले में पिछले साल सितंबर में प्रधान ने रूस का दौरा भी किया था।