इस्लामाबाद। नेशनल जियोग्राफिक चैनल की मैगजीन के कवर पेज पर छपने के बाद चर्चा में आई हरी आंखों वाली अफगान गर्ल शरबत गुला को सजा पूरी करने के बाद भी अफगानिस्तान वापस नहीं भेजा जाएगा। पाकिस्तान के अधिकारी शौकत यूसुफजई ने इसकी जानकारी दी है। शरबत गुला को फेडरल इंवेस्टिगेशन एजेंसी ने 26 अक्टूबर को फर्जी आईकार्ड रखने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इसके बाद उसको कोर्ट ने पंद्रह दिनों की सजा सुनाते हुए उसको बाद में अफगानिस्तान भेजने का भी आदेश दिया था। पाकिस्तान के एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक गुला की गिरफ्तारी के बाद संयुक्त राष्ट्र ने भी उससे किनारा कर लिया था। यूएन का कहना है कि वह रजिस्टर्ड रिफ्यूजी नहीं है।
पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ के प्रमुख इमरान खान ने भी खैबर पख्नूख्वां के मुख्यमंत्री परवेज खटक से अपील की है कि गुला को अफगानिस्तान डिपोर्ट न किया जाए। इसके बाद सरकार ने उसको डिपोर्ट करने का फैसला और तैयारी दोनों को ही छोड़ दिया गया है। पहले मानवीय आधार पर उसको डिपोर्ट करने का फैसला लिया गया था। शरबत गुला केे वकील का कोर्ट में कहना था कि वह हैपेटाइटस सी से पीडि़त है। इसके बाद कोर्ट नेे 15 दिनों की सजा के साथ 110,000 का जुर्माना भी लगाया था।
‘अफगान गर्ल’ समेत मोनालिसा ऑफ अफगानिस्तान के नाम से फेमस गुला को पहली बार 1984 में फोटोग्राफर मैककरी अपने फोटो के जरिए दुनिया के सामने लाए थे। यह फोटो उन्होंने पेशावर के नसिर बाग रिफ्यूजी कैंप में ली थी। उस वक्त गुला महज 12 वर्ष की थी। इसके बाद एनजीसी ने गुला को अपनी मैगजीन के कवर पेज पर जगह दी थी। इसके बाद ही उसको मोनालिसा आॅफ अफगानिस्तान का नाम दिया गया था। अफगान युद्ध में घिरी गुला पर एनजीसी ने एक डॉक्यूमेंट्री भी बनाई थी। इसके बाद वह एक आईकन बन गई थी। वर्ष 2002 में दूसरी बार एनजीसी ने गुला को तलाशा था।