देहरादून। हरिद्वार कुंभ के दौरान कोरोना जांच की फर्जी रिपोर्ट मामले में नया मोड़ आया है। सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने बुधवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि कोरोना जांच में फर्जीवाड़ा कुंभ की अधिसूचना लागू होने से पहले हुआ।
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हरिद्वार कुंभ के दौरान कोरोना जांच रिपोर्ट में फर्जीवाड़े का मामला सुर्खियों में
इन दिनों हरिद्वार कुंभ के दौरान कोरोना जांच रिपोर्ट में फर्जीवाड़े का मामला सुर्खियों में है। दरअसल, प्रदेश सरकार ने कुंभ मेले के दौरान कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में तेजी से बढ़ रहे मामलों को देखते हुए सभी श्रद्धालुओं के लिए आरटीपीसीआर की निगेटिव रिपोर्ट लेकर आना अनिवार्य किया था। साथ ही हरिद्वार की सीमा पर भी कोरोना की आरटीपीसीआर और एंटीजन जांच की व्यवस्था की गई। इसके लिए नौ लैब को अधिकृत किया गया। इसमें मैक्स कारपोरेट सॢवसेज ने हिसार की नलवा लैब और दिल्ली की लालचंदानी लैब के जरिये ये काम किया। इन्होंने हरिद्वार के पांच स्थानों पर सैंपलिंग की।
जांच में फर्जीवाड़े की बात तब सामने आई, तब फरीदकोट (पंजाब) के एक व्यक्ति के मोबाइल पर बिना जांच किए ही जांच कराने संबंधी मैसेज आया। उसने इसकी शिकायत इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) से की। आइसीएमआर के पत्र पर स्वास्थ्य विभाग ने इसकी प्रारंभिक जांच कराई। इसमें गड़बड़ी की पुष्टि हुई। इस पर सरकार के आदेश पर जिलाधिकारी हरिद्वार ने मैक्स कारपोरेट सर्विसेज के साथ ही हिसार (हरियाणा) की नलवा लैब और दिल्ली की लालचंदानी लैब पर मुकदमा दर्ज कर दिया। अब इसकी एसआइटी से जांच कराई जा रही है। वहीं, विपक्ष इस मामले में प्रदेश सरकार के खिलाफ लगातार हमलावर तेवर अख्तियार किए हुए है।
प्रवक्ता उनियाल ने कहा कि हरिद्वार में कुंभ की अधिसूचना एक अपै्रल से लागू हुई
इस परिदृश्य के बीच सरकार के प्रवक्ता उनियाल ने कहा कि हरिद्वार में कुंभ की अधिसूचना एक अपै्रल से लागू हुई। कोरोना जांच रिपोर्ट में जो फर्जीवाड़ा हुआ, वह इससे पहले का है। अधिसूचना से पहले ही हरिद्वार में कोरोना जांच के मद्देनजर विभिन्न फर्मों को काम सौंपा गया था। उनसे पहले मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत भी इस बात को कह चुके हैं कि यह फर्जीवाड़ा उनके कार्यकाल से पहले का है।