देहरादून। Former CM Trivendra: गत मार्च में अपना चार साल का कार्यकाल पूर्ण करने से महज नौ दिन पहले पद से हटने वाले उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि यह हाईकमान का निर्णय था और पार्टी का सिपाही होने के नाते उन्होंने इसे शिरोधार्य किया। विधानसभा सत्र के बीच में यह निर्णय हुआ, इसलिए थोड़ा कष्ट जरूर हुआ। यह पहला मौका है जब पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने पद से हटने को लेकर अपनी टीस जाहिर की।
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वर्ष 2017 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा भारी-भरकम बहुमत के साथ सत्ता में आई थी। 70 सदस्यीय निर्वाचित विधानसभा में भाजपा को 57 सीटें मिलीं। तब भाजपा नेतृत्व ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को सरकार की कमान सौंपने का निर्णय लिया। 18 मार्च 2017 को त्रिवेंद्र ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। गुजरी 18 मार्च को त्रिवेंद्र सरकार चार साल का कार्यकाल पूर्ण होने पर राज्यभर में समारोह आयोजित करने की तैयारी कर रही थी कि इससे नौ दिन पहले नौ मार्च को उन्हें अप्रत्याशित रूप से पद से हटना पड़ा।
सियासी गलियारों में रही नेतृत्व परिवर्तन की हलचल
उस वक्त भाजपा नेतृत्व द्वारा नेतृत्व परिवर्तन के फैसले से सियासी गलियारों में हलचल मच गई। दरअसल तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार ने बजट सत्र ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में आयोजित करने का निर्णय लिया था। एक मार्च से बजट सत्र शुरू हुआ। छह मार्च की सुबह तक सब कुछ सामान्य रहा, मगर फिर अचानक दोपहर में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम प्रदेश कोर ग्रुप के सदस्यों के साथ बैठक के लिए देहरादून पहुंच गए। इससे सूबे का सियासी तापमान बढ़ गया और नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें शुरू हो गईं।
आठ मार्च को बुलाया गया दिल्ली
आठ मार्च को त्रिवेंद्र सिंह रावत को भाजपा नेतृत्व ने दिल्ली बुला लिया। दिल्ली में उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा व कुछ अन्य वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की। शाम ढलते-ढलते यह तय हो गया कि उत्तराखंड की भाजपा सरकार में नेतृत्व परिवर्तन होने जा रहा है। नौ मार्च को त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून लौटकर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को इस्तीफा सौंप दिया। 10 मार्च को सुबह भाजपा विधायक दल की बैठक में तीरथ सिंह रावत को नया नेता चुना गया और शाम को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण कर ली।
Former CM Trivendra: के उत्तराधिकारी बने तीरथ का कार्यकाल भी रहा छोटा
त्रिवेंद्र के उत्तराधिकारी बने तीरथ सिंह रावत का कार्यकाल बहुत छोटा रहा और चार महीने से पहले ही उन्होंने संवैधानिक अड़चन का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। तीरथ के बाद राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री के रूप में पुष्कर सिंह धामी ने सरकार की कमान थामी है। पद से हटने के लगभग पांच महीने बाद पहली बार त्रिवेंद्र ने अपने दिल की बात मीडिया के समक्ष जाहिर की।
भाजपा अनुशासित पार्टी
दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने कहा कि भाजपा एक अनुशासित पार्टी है और इसका कार्यकर्त्ता होने के नाते उन्होंने भी अनुशासन का पालन किया। त्रिवेंद्र ने कहा कि भाजपा ने उन्हें लगभग चार वर्ष सरकार का नेतृत्व करने का अवसर दिया। हमारी सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी की उम्मीदों को पूरा करने में सफल रही। इसलिए जब हाईकमान ने नेतृत्व परिवर्तन का निर्णय लिया, तो सहर्ष इसका भी पालन किया। हालांकि चार वर्ष का कार्यकाल पूर्ण न कर पाने का मलाल उनकी बात में झलका। उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र के बीच यह निर्णय हुआ, तो कुछ कष्ट हुआ।