सैन्य कर्मियों के वेतन में गड़बड़ी करता पाया गया बाबू, गिरफ्तार

2004

सेना के जवानों के वेतन में डकैती डालने वाले बाबू को सीबीआई कोर्ट ने सजा सुनाई है। उत्तराखंड के लैंसडौन स्थित गढ़वाल राइफल रेजिमेंटल सेंटर (जीआरआरसी) का घूसखोर बड़ा बाबू (यूडीसी) सैन्य कर्मचारियों के वेतन बनाने में गड़बड़ी करता था। मंगलवार को सीबीआई जज शादाब बनो की अदालत में आरोपी बाबू ने अपना गुनाह कबूल कर लिया। अदालत ने उसे वेतन धोखाधड़ी में चार वर्ष की सजा सुनाने के साथ ही 35 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।

सीबीआई के शासकीय अधिवक्ता सतीश ने बताया कि पांच अक्तूबर 2016 को लैंसडौन जीआरआरसी सेंटर के लौहार मोहन सिंह ने सीबीआई में शिकायत की। मोहन सिंह ने बताया कि दिसंबर 2016 में उनका रिटायरमेंट होना था। आरोप लगाया कि उनकी पेंशन के पेपर अटकाने का दबाव बनाते हुए सेंटर के बड़े बाबू प्रताप सिंह रावत ने आठ लाख रुपये की घूस मांगी।

उनकी शिकायत पर सीबीआई ने छह अक्तूबर 2016 को रावत को लैंसडौन बाजार में मोहन सिंह से चार लाख रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया था। अधिवक्ता सतीश ने बताया कि इस मामले में सीबीआई की अदालत 28 फरवरी को प्रताप सिंह रावत को पांच वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुना चुकी है।

आय से अधिक संपत्ति की जांच से हुआ खुलासा

ट्रैप केस के साथ ही रावत के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले की जांच की गई। जांच में सामने आया कि रावत के वेतन खाते में तय राशि से अधिक भुगतान आता था। सीबीआई ने जांच की वेतन में धोखाधड़ी का खुलासा हुआ। जिस पर उसके खिलाफ 31 अगस्त को सीबीआई ने धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज कर 20 दिसंबर 2017 को चार्जशीट दाखिल की। सीबीआई अधिवक्ता सतीश ने बताया कि पीएस रावत ने सेंटर के बाबू (एलडीसी) राजेश कुमार नौटियाल के साथ मिलकर वर्ष 2008 से 2015 तक 84 सैन्य कर्मचारियों के वेतन में गड़बड़ी की।

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