कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष और श्रम मंत्री के बीच छिड़ी जुबानी जंग

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कर्मकार कल्याण बोर्ड

देहरादून। उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष और श्रम मंत्री के बीच छिड़ी जुबानी जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। श्रम मंत्री डा हरक सिंह रावत ने बुधवार को बोर्ड के अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सत्याल से यह पूछा जाना चाहिए कि वे क्या पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ सीबीआइ जांच की मांग कर रहे हैं। रावत ने कहा कि उनके अध्यक्षीय कार्यकाल में बोर्ड में पूरी पारदर्शिता से काम हुए। इनकी कभी भी किसी भी एजेंसी से जांच कराई जा सकती है। सवाल उठाया कि जब त्रिवेंद्र रावत मुख्यमंत्री थे, तब सत्याल ने क्यों जांच नहीं कराई। यदि कहीं कुछ गलत था तो उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराते।

सत्याल ने हाल में ही बोर्ड के कार्यों की सीबीआइ अथवा उच्चस्तरीय जांच की मांग उठाई

त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में श्रम मंत्री हरक सिंह रावत कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी निभा रहे थे। पिछले साल अक्टूबर में श्रम मंत्री से अध्यक्ष की जिम्मेदारी हटाकर शमशेर सिंह सत्याल को अध्यक्ष बनाया गया। साथ ही बोर्ड का नए सिरे से गठन कर दिया गया। बोर्ड ने पिछले बोर्ड के कार्यकाल में हुए फैसले पलट डाले थे। इसके बाद से बोर्ड अध्यक्ष और श्रम मंत्री के बीच जुबानी जंग छिड़ी है। सत्याल ने हाल में ही बोर्ड के कार्यों की सीबीआइ अथवा उच्चस्तरीय जांच की मांग उठाई थी। श्रम मंत्री रावत की ओर से सत्याल को पद से हटाने की पैरवी की थी।

बुधवार को वन मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत के दौरान हरक ने कहा कि

अब श्रम मंत्री रावत ने फिर से सत्याल पर निशाना साधा। बुधवार को वन मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत के दौरान हरक ने कहा कि 2005 में जब कर्मकार कल्याण बोर्ड बना तो कोई इसे जानता तक नहीं था। वर्ष 2017 में बोर्ड का अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने बोर्ड की आमदनी बढ़ाने के प्रयास किए। तमाम विभागों, संस्थाओं व बिल्डरों से सेस वसूलने की कार्रवाई की। नतीजतन तीन साल में दो सौ करोड़ से ज्यादा की धनराशि जुटाई गई, ताकि श्रमिक हितों के लिए प्रभावी ढंग से कार्य कराए जा सकें।

उन्होंने दावा किया कि

उनके कार्यकाल में बोर्ड में पूरी पारदर्शिता से काम हुए। केंद्र सरकार की उत्तराखंड में इनपैनल्ड एजेंसियों से अनुबंध कर उन्हें काम दिए गए। यदि टेंडर प्रक्रिया में कहीं कोई गड़बड़ी हुई होगी तो इसके लिए एजेंसियां जिम्मेदार हैं। बोर्ड के माध्यम से साइकिल वितरण का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ही कैंट विधानसभा क्षेत्र में साइकिल वितरण की शुरुआत की थी।

त्रिवेंद्र के अनुमोदन पर जारी हुआ था शासनादेश

कैबिनेट मंत्री रावत ने कहा कि कोटद्वार में ईएसआइ अस्पताल के निर्माण के लिए बोर्ड से 50 करोड़ की राशि बतौर ऋण मुहैया कराने के संबंध में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के अनुमोदन के बाद ही शासनादेश हुआ था। उन्होंने कहा कि कोटद्वार में वह अपने घर के लिए नहीं, बल्कि पौड़ी क्षेत्र की जनता की सुविधा के लिए अस्पताल बनवाने की कवायद कर रहे थे। यह उनका दायित्व भी था। उन्होंने कहा कि अब बोर्ड के अध्यक्ष सीबीआइ जांच की मांग कर रहे हैं। उनसे पूछा जाना चाहिए कि क्या वे पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र खिलाफ जांच की मांग उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 20 अक्टूबर को सत्याल बोर्ड के अध्यक्ष बने थे, तब से उनके द्वारा जांच क्यों नहीं कराई गई। अब मुख्यमंत्री बदल गए हैं, लेकिन जब त्रिवेंद्र मुख्यमंत्री थे, तब क्यों जांच नहीं कराई। हम गलत थे तो मुकदमा दर्ज कराते।

अपनी ही सरकार पर उठा रहे सवाल

हरक ने कहा कि सत्याल खुद को 40 साल पुराना पार्टी कार्यकर्त्‍ता बता रहे हैं। भाजपा सरकार में ही उन्हें दायित्व मिला। अब सत्याल अपनी ही पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्री व श्रम मंत्री पर सवाल उठा रहे हैं। यह सोचनीय है।

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