भारतीय रेलवे ने बुलेट ट्रेन का नेटवर्क विकसित करने की दिशा में’रफ्तार’,अब चीनी बुलेट दौड़ाने की तैयारी

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लखनऊ। भारतीय रेलवे ने बुलेट ट्रेन का नेटवर्क विकसित करने की दिशा में ‘रफ्तार’ बढ़ा दी है। मुंबई और अहमदाबाद के बाद अन्य रूट पर भी बुलेट दौड़ाने का खाका खींचा जा रहा है। हां, इन रास्तों पर जापान के साथ-साथ चीनी बुलेट ट्रेन भी रफ्तार भरती दिख सकती है।

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रेलवे बोर्ड के सूत्रों के मुताबिक

इसके लिए भारतीय रेलवे मैकेनिकल इंजीनियरिंग सेवा के 41 अधिकारी चीन से ट्रेनिंग लेकर मंगलवार को ही लौटे हैं। रेलवे बोर्ड के सूत्रों के मुताबिक, मंत्रालय 12 नए रूटों पर बुलेट ट्रेन के लिए फिजिबिलिटी सर्वे कराने की तैयारी में हैं। उनमें दो पर चीन को जिम्मेदारी दी जा सकती है।

बिना पहिए वाली मैग्नेट पर हवा से बातें करती हुई माग्लेव बुलेट ट्रेन हो या फिर चीन की 250 और 300 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार भरने वाली बुलेट ट्रेनें..। उन्हें भारत में दौड़ाने की जमीन तेजी से तैयार हो रही है। चूंकि, बुलेट ट्रेन सिर्फ चलाना काफी नहीं है। उसका मेंटेनेंस और ऑपरेशन अहम होगा, जिसकी ट्रेनिंग के लिए रेलवे के 41 अधिकारियों को चीन भेजा गया था।

वहां के चेंगदू के साउथ वेस्ट जियाओतोंग यूनिवर्सिटी में अध्ययन कराया गया। इसके साथ ही चेंगदू से जियांग तक चीन के 680 किमी. हाई स्पीड रेल कॉरिडोर पर 250 किलोमीटर प्रति घंटे और जियांग से बीजिंग तक 300 किलोमीटर प्रतिघंटे से दौड़ने वाली बुलेट ट्रेन की यात्रा कराई। उसके तकनीकी पहलुओं को साझा किया।

इसी टीम ने किया था टैल्गो का ट्रायल

चीन गए रेलवे मैकेनिकल सर्विस के अधिकारियों की प्रोजेक्ट में अहम भू्मिका रहती है। इस सेवा के अधिकारियों ने ही स्पेन की सेमी हाई स्पीड ट्रेन टैल्गो का भारत में सफल ट्रायल किया था, जबकि वंदे भारत एक्सप्रेस और गतिमान एक्सप्रेस को भी 180 किलोमीटर से अधिक की गति पर दौड़ाकर कीर्तिमान बनाया।

11 रुपये प्रति किलोमीटर का टिकट

रेलवे अधिकारियों की टीम ने बिना पहिए वाली चीन की आधुनिक बुलेट ट्रेन मैग्लेव का भी सफर किया। मैग्नेट तकनीक पर आधारित ट्रेन 430 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से दौड़ी। कुल 80 किलोमीटर की यात्रा के लिए 80 युआन का टिकट लगा। एक युआन लगभग 11 रुपये का होता है। यानी कुल 880 रुपये में 80 किलोमीटर की यात्रा हुई। यह ट्रेन आठ मिनट में 40 किलोमीटर का सफर तय करती है।

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