डेंगू के बढ़ते प्रकोप के कारण अस्पतालों पर बढ़ता मरीजों का बोझ,सरकारी और निजी अस्पताल फुल

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देहरादून,डेंगू के बढ़ते प्रकोप के कारण अस्पतालों पर भी मरीजों का बोझ बढ़ता जा रहा है। रही-सही कसर वायरल व अन्य मौसमी बीमारियों ने पूरी कर दी है। सरकारी अस्पताल हो या फिर प्राइवेट अस्पताल सभी जगह ओपीडी व आइपीडी में मरीजों की भीड़ लगी हुई है। स्थिति ये कि डेंगू भर्ती करने के लिए जो अलग आइसोलेशन वार्ड बनाए गए हैं वहां भी बेड उपलब्ध नहीं हैं। अब तो बरामदे में स्ट्रेचर लगाकर मरीजों का उपचार किया जा रहा है।

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बरामदे में स्ट्रेचर पर इलाज

प्रदेश के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में शुमार दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय पर मरीजों का सबसे ज्यादा बोझ है। डेंगू के ही यहां पर अब तक 700 से अधिक मरीजों को उपचार दिया जा चुका हैं, वहीं 60 मरीज अभी भी भर्ती है। उस पर वायरल आदि के मरीज भी भारी संख्या में अस्पताल पहुंच रहे हैं। जिस पर अस्पताल प्रशासन जैसे-तैसे बरामदे में स्ट्रेचर लगाकर मरीजों का इलाज करा रहा है।

स्थिति यह आ गई है कि कई मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद वापस भेजना पड़ रहा है। मरीज को भर्ती करने में आ रही दिक्कत के कारण इमरजेंसी के स्टाफ से अक्सर तीमारदारों की नोकझोंक हो रही है। कई जनप्रतिनिधि तक अधिकारियों को फोन घनघना रहे हैं। पर अब सिफारिश पर भी बेड मिलना मुश्किल हो रहा है।

गांधी व कोरोनेशन अस्पताल में भी स्थिति विकराल

कोरोनेशन व गांधी नेत्र चिकित्सालय में भी कमोबेश यही स्थिति है। हालत ये है कि अस्पताल में हर दूसरा शख्स बुखार से पीड़ित पहुंच रहा है। इन्हें न केवल डॉक्टरी परामर्श बल्कि जांच के लिए भी भारी दिक्कत उठानी पड़ रही है। यही नहीं मरीजों को बेड तक मयस्सर नहीं हैं।

गांधी नेत्र चिकित्सालय में डेंगू के मरीजों के लिए 24 बेड का आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। जबकि इमरजेंसी में पांच बेड हैं। पर ये इंतजाम भी नाकाफी साबित हो रहे हैं। आलम ये कि न केवल इमरजेंसी बल्कि डेंगू वार्ड में भी एक बेड पर दो-दो मरीज लिटाए जा रहे हैं। कोरोनेशन अस्पताल में डेंगू के लिए मात्र चार बेड हैं। सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां मरीज को भर्ती होने में कितनी दिक्कत होती होगी।

प्रेमनगर-रायपुर अस्पताल पर बढ़ा बोझ

डेंगू व वायरल के कारण इस वक्त रायपुर व प्रेमनगर अस्पताल पर भी दबाव बढ़ गया है। जिसका अंदाजा यहां की ओपीडी को देखकर ही लगाया जा सकता है। इन अस्पतालों में औसतन 200-250 मरीज हर रोज पहुंचते हैं। जबकि अब यह संख्या 400-500 तक पहुंच गई है। प्रेमनगर में कहने के लिए छह बेड का आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है, पर फिलहाल यहां 12 मरीज भर्ती हैं। रायपुर अस्पताल में डेंगू के तीन बेड हैं, पर यह इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं।

बेड बढ़ाने की गुंजाइश नहीं

दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा के मुताबिक, वर्तमान स्थिति में हम बरामदे तक में मरीजों का उपचार कर रहे हैं। बेड बढ़ाने की गुंजाइश अब नहीं है। हाल में स्टाफ को 12 घंटे तक भी ड्यूटी करनी पड़ रही है। स्वास्थ्य महानिदेशालय से 15 स्टाफ नर्स व दो लैब टेक्नीशियन की मांग की है।

मरीजों का अत्यधिक दबाव

गांधी और कोरोनेशन अस्पताल के सीएमएस डॉ. बीसी रमोला के अनुसार,गांधी व कोरोनेशन अस्पताल में डेंगू व इमरजेंसी के मिलाकर कुल 29 बेड हैं। यह बात सही है कि इस वक्त मरीजों का अत्यधिक दबाव है। पर डॉक्टर व कर्मचारी पूरी तत्परता के साथ अपना काम कर रहे हैं। भीड़ ज्यादा होने के कारण मरीजों को दिक्कत जरूर होती है।

डेंगू पर अब आंकड़ों की बाजीगरी में जुटे अफसर

डेंगू को लेकर प्रदेशभर में हाहाकार मचा हुआ है। हर दिन इस बीमारी के दर्जनों नए मामले सामने आ रहे हैं और आठ लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी है। सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों तक में मरीजों की भारी भीड़ दिख रही है। पर स्वास्थ्य विभाग के अफसर आंकड़ों की बाजीगरी में जुटे हैं। यह साबित करने पर तुले हैं कि स्थिति इतनी भयावह नहीं है जितनी दिखाई जा रही है।

डेंगू को लेकर विपक्षी दल लगातार सरकार को घेरने में लगे हैं। उनका कहना है कि डेंगू पीडि़तों की संख्या सरकारी आंकड़ों से कई ज्यादा है। बल्कि मौत का असल आंकड़ा भी सरकार छिपा रही है। स्वास्थ्य विभाग के एक कारनामे ने अब इन आरोपों की पुष्टि कर दी है।

तीन सालों में सर्वाधिक मरीज

डेंगू की भयावहता का अंदाजा इससे भी लग जाता है कि तीन अस्पतालों में आए डेंगू पॉजीटिव केस ने 2016 का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया है। वर्ष 2016 में जहां 1434, 2017 में 366 और 2018 में 314 मरीज पॉजीटिव आए थे।

डीजी बोले, विभाग था पूरी तरह तत्पर

दून मेडिकल कॉलेज सभागार में आयोजित बैठक में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. आरके पांडे ने कहा कि विभाग डेंगू का सीजन शुरू होने से पहले ही तैयारियों में जुटा था। तमाम अस्पतालों में किट से लेकर वार्ड आदि निर्धारित कर दिए गए थे। फॉगिंग से लेकर तमाम कैंप अब भी किए जा रहे हैं। 50 हजार से ज्यादा घरों का सर्वे किया जा चुका है। लोगों को जागरूक कर रहे हैं। प्रचार प्रसार में कोई कमी नहीं है। पत्रकार वार्ता में सीएमओ डॉ. एसके गुप्ता, दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना, कोरोनेशन अस्पताल के सीएमएस डॉ. बीसी रमोला, दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा, डॉ एनएस बिष्ट, डॉ. केसी पंत, डॉ. अर्जुन सेंगर, डॉ. एनएस खत्री, डॉ. पंकज सिंह, जेसी पांडे आदि मौजूद रहे।

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