गुजरात, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड लागू कर चुका है कानून
लखनऊ : उत्तर प्रदेश कैबिनेट की बैठक में सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण दिए जाने के केंद्र को निर्णय को सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई बैठक में इस पर मुहर लगी। ऐसे में अब यूपी देश का छठा ऐसा राज्य बन गया है, जिसने केंद्र के इस फैसले (जनरल कोटा) को लागू किया है।
आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए 10 फीसदी आरक्षण देने की सबसे पहले शुरुआत गुजरात ने की थी। इसके बाद तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश ने भी इसे मंजूरी दे दी थी। अब शुक्रवार को योगी सरकार ने भी इस पर मुहर लगा दी है।
कैबिनेट मीटिंग के बाद राज्य सरकार के प्रवक्ता और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बताया, ‘केंद्र सरकार द्वारा 12 जनवरी, 2019 को जारी अधिसूचना के माध्यम से संविधान में संशोधन करते हुए सरकारी सेवाओं की सभी श्रेणियों में नियुक्ति और सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को अधिकतम दस प्रतिशत का आरक्षण को मंजूरी दी गई।
यूपी सरकार भी इस कानून का पालन करेगी।’ शर्मा ने इसे ‘सबसे बड़ा फैसला’ बताते हुए कहा कि यूपी कैबिनेट ने इसी अपनी सहमति दे दी है। आगे की प्रक्रिया भी पूरी कर ली जाएगी।
आरक्षण को नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में लागू करने की कवायद शुरू
बता दें कि आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को दस फीसदी आरक्षण देने का विधेयक केंद्र सरकार ने पास किया था। संसद के दोनों सदन (लोकसभा और राज्यसभा) में पास होने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिया था। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही यह कानून बन गया।
इन सभी को मिलेगा लाभ
इस कानून को योगी कैबिनेट की बैठक में मंजूरी मिलते ही यूपी में नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में लागू करने की कवायद शुरू हो गई है। योगी सरकार की ओर से प्रस्ताव बनाकर शुक्रवार को कैबिनेट में रखा गया था। मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय ने बताया कि प्रस्ताव कैबिनेट में ले जाने से पहले न्याय, वित्त और समाज कल्याण विभाग के आला अधिकारियों के साथ बैठक की गई। बैठक में इसको लागू किए जाने के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा की गई थी।