केंद्र सरकार वर्ष 2019 तक देश के सभी जिलों को पोषण अभियान में शामिल कर लेगी। केंद्र सरकार ने अभियान को जन आंदोलन बनाने की रुपरेखा तय करते हुए अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं और वालंटीयर्स को आधा दर्जन समूहों में बांटकर जिम्मेदारी दी है। पोषण अभियान की निगरानी के लिए बनी राष्ट्रीय समिति की संस्तुति से 11 करोड़ लाभार्थियों तक पहुंचने का खाका तैयार किया गया है।
केंद्र ने आंदोलन की मुहिम में जुटी टीम को प्रोत्साहन राशि देने के लिए डेढ़ सौ करोड़ रुपये का कार्पस फंड बनाया है। अच्छा काम करने वाली टीम को डेढ़ लाख रुपये सालाना दिए जाएंगे। महिला और बाल विकास मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि करीब दो करोड़ कार्यकर्ता पोषण अभियान को जन आंदोलन बनाने की मुहिम में जुटेंगे।
बड़े पैमाने पर जुड़ेंगे कार्यकर्ता
राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत बने स्वयं सहायता समूहों को दो करोड़ तीन लाख लाभार्थियों तक पहुंचना है। इसमें 23 लाख से ज्यादा स्वयं सहायता समूह के सदस्य शामिल होंगे। करीब आठ लाख 69 हजार अध्यापकों को 87 लाख बच्चों तक पहुंचने की जिम्मेदारी दी जाएगी। जबकि 24 लाख से ज्यादा स्वस्थ भारत प्रेरक, आंगनबाड़ी कर्मी, आशा वर्कर, एएनएम और महिला सुपरवाइजर 4.9 करोड़ लाभार्थियों तक पहुंचेंगी।
नेहरू युवा केंद्र एनएसएस, एनसीसी, स्काउट एंड गाइड के करीब एक करोड़ युवाओं को भी इस अभियान से जोड़कर दो करोड़ लाभार्थियों तक पहुंचने का लक्ष्य तय किया जा रहा है। कोऑपरेटिव और स्वच्छाग्रही भी इस अभियान से जोड़े जाएंगे।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक राज्यों को कहा गया है कि वे समुदाय आधारित कार्यक्रमों के आयोजन के लिए जिलों को सीधे फंड आवंटित करें। समुदाय आधारित कार्यक्रमों का आयोजन आंगनबाड़ी कर्मियों, आशा और राष्ट्रीय आजीविका मिशन के स्वयं सहायता समूहों की ओर से हर माह सुव्यस्थित तरीके से किया जाएगा। कुपोषण के खिलाफ अभियान में लाभार्थियों को संदेश देने के लिए स्थानीय परंपराओं के मुताबिक पूरे देश में कार्यक्रमों का आयोजन होगा। इसमें गीत संगीत के कार्यक्रम भी होंगे।