NEET एग्जाम पर अलग-अलग पेपर दिए जाने को लेकर SC की CBSE को फटकार

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NEET एग्जाम पर अलग-अलग पेपर दिए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट की CBSE को फटकार

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने इस साल NEET के पेपर में अलग-अलग भाषा में अलग-अलग पेपर दिए जाने को लेकर CBSE को फटकार लगाई है।

गुरुवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हर भाषा में तैयार किए गए एग्जाम पेपर एक जैसे होने चाहिए। बता दें कि इस साल NEET एग्जाम हिंदी/अंग्रेजी समेत 8 रीजनल लैंग्वेज में कराए गए थे।

कुछ स्टूडेंट्स का आरोप था कि रीजनल लैंग्वेज में तैयार पेपर अंग्रेजी के मुकाबले कठिन थे। NEET के एग्जाम 7 मई को हुए थे। 23 मई को रिजल्ट डिक्लेयर किया गया था।

संकल्प चैरिटेबल ट्रस्ट ने दायर की थी पिटीशन

इस मामले में जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली तीन जजों की बेंच एनजीओ संकल्प चैरिटेबल ट्रस्ट की एक पिटीशन पर सुनवाई कर रही थी।

सभी पक्षों की दलीलों के बाद बेंच ने कहा “हम एक जैसे सवाल चाहते हैं। हमें बताएं आप इसे कैसे करने वाले हैं।”
कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 10 अक्टूबर तय की है।

किसने क्या दलील दी?

पिटीशनर की ओर से सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने दलील दी। उन्होंने डाटा के जरिए अंग्रेजी/हिंदी और रीजनल लैंग्वेज में सवाल हल करने वालों के रेशो में अंतर बताया।

सेंट्रल बोर्ड सेकंडरी एजुकेशन (CBSE) की ओर से पेश हुए एडीशनल सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह ने बताया कि रीजनल लैंग्वेज और अंग्रेजी/हिंदी में तैयार किए गए पेपर अलग-अलग थे, लेकिन उनमें डिफिकल्टी का लेवल एक जैसा है।

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने कोर्ट को बताया कि पहले पेपर अंग्रेजी में तैयार किए गए। इसके बाद इन्हें हिंदी में ट्रांसलेट किया गया। उन्होंने बताया कि जब रीजनल लैंग्वेज में ट्रांसलेट करने वाले एक्सपर्ट उपलब्ध नहीं हुए तो सवालों को उसी डिफिकल्टी लेवल के आधार पर बदल दिया गया।

8 रीजनल लैंग्वेज में हुए था एग्जाम

इस साल नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्‍ट (NEET) हिंदी और अंग्रेजी के अलावा 8 लैंग्वेज में हुआ था। इसमें असमी, बांग्ला, गुजराती, मराठी, कन्‍नड़, उड़िया, तमिल और तेलुगु शामिल हैं।

इस मामले में एक पिटीशन मदुरै बेंच में लगाई गई थी। इसमें कहा गया कि रीजनल लैंग्वेज में पूछे गए सवाल अंग्रेजी लैंग्वेज में पूछे गए सवालों के मुकाबले आसान थे।

वहीं, गुजरात हाईकोर्ट में एक पिटीशन दाखिल कर कहा गया था कि गुजराती में पूछे गए सवाल अंग्रेजी के मुकाबले कठिन थे।

वहीं, सीबीएसई ने कहा था कि सभी पेपर मॉडरेटर्स ने तय किए थे। उन्होंने इनका डिफिकल्टी लेवल एक जैसा रखा था।

कोर्ट ने रिजल्ट पर लगा दी थी रोक

मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने 8 जून को डिक्लेयर किए जाने वाले NEET के रिजल्ट पर रोक लगा दी थी। इसके बाद CBSE ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। 12 जून को सुप्रीम कोर्ट ने मदुरै बेंच के फैसले पर रोक लगा दी थी।

रिजल्ट रद्द करने से SC ने किया था इनकार

संकल्प ट्रस्ट ने NEET के नतीजों को रद्द करने की मांग की थी, लेकिन 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया था।

कोर्ट का कहना था कि इससे एग्जाम पास करके प्रोफेशनल कोर्स ज्वाइन करने वाले छह लाख स्टूडेंट्स पर असर होगा।
बता दें कि इस साल 11.33 लाख स्टूडेंट्स ने NEET एग्जाम दिया था। इनमें से 6.11 लाख पास हुए थे।

इस एग्जाम का क्या फायदा?

NEET के जरिए मेडिकल और डेंटल कॉलेज में एमबीबीएस और बीडीएस कोर्सेस में एंट्रेस मिलता है। इसके अलावा उन कॉलेजों में भी एंट्री मिलती है, जो मेडिकल कांउसिल ऑफ इंडिया और डेटल कांउसिल ऑफ इंडिया के तहत मान्यता प्राप्त होते हैं।

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