नई दिल्ली :जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद वहां लगी पाबंदियों पर सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से इनकार करते हुए कहा कि राज्य में स्थिति संवेदनशील है और सरकार पर भरोसा किया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने आज एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार को राज्य की स्थिति को सामान्य बनाने के लिए समय दिया जाना चाहिए। रातोंरात चीजें नहीं बदल सकती है। ऐसे में राज्य में लगी पाबंदियों पर किसी प्रकार का आदेश नहीं दिया जाएगा। इसके साथ ही कोर्ट ने दो सप्ताह के लिए इस मामले की सुनवाई टाल दी।
SC ने पूछा- कबतक स्थिति होगी सामान्य?
जम्मू-कश्मीर में प्रतिबंध और कर्फ्यू हटाए जाने तथा संचार सेवा बहाल करने की मांग वाली एक याचिका पर जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने अटॉर्नी जनरल से पूछा कि जम्मू-कश्मीर में और कितने दिनों तक पाबंदियां बरकरार रहेंगी। इस सवाल पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सरकार पल-पल की परिस्थिति पर नजर रखे हुए है। 2016 में इसी तरह की स्थिति को सामान्य होने में 3 महीने का समय लगा था, ऐसे में सरकार की कोशिश है कि जल्द से जल्द हालात सामान्य हो जाएं।
‘राज्य का मामला संवेदनशील’
याचिकाकर्ता की इस मांग पर की कश्मीर से पाबंदियों को खत्म किया जाए कोर्ट ने कहा कि सरकार को जम्मू कश्मीर में स्थिति सामान्य होने के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि आज जम्मू-कश्मीर की पाबंदियों में ढील दी गई थी, अगर ऐसे में वहां कुछ होता तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेता? कोर्ट ने कहा कि राज्य का मामला संवेदनशील है और सरकार को सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए। कोर्ट प्रशासन के हर मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता।
सामान्य स्थिति होने का करें इंतजार
याचिका पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार रोजाना स्थिति का जायजा ले रही है और ऐसे में स्थिति सामान्य होने का इंतजार किया जाना चाहिए। हालांकि कोर्ट ने अपील पर यह भी कहा कि अगर स्थितियां सामान्य नहीं होती हैं तो आप बाद में इस मामले को फिर हमारे सामने ले आएं और हम उस वक्त इस मामले को देखेंगे। इसके अलावा सरकार ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में कानून व्यवस्था और हालात की हर रोज समीक्षा की जा रही है और प्रदेश में किसी भी प्रकार के मानवाधिकार का हनन नहीं हो रहा है। अदालत ने इस याचिका पर सुनवाई को 2 हफ्ते के लिए टालते हुए कहा कि सरकार को इस संबंध में पूरी आजादी के साथ कार्रवाई करने की छूट मिलनी चाहिए।