भारत की बड़ी कंपनियों में शुमार जेपी ग्रुप पर गहरा संकट मंडरा रहा है। जेपी इंफ्राटेक को दिवालिया की सूची में डाल दिया गया है। वहीं पूरा ग्रुप कर्ज में डूबा हुआ है। सबसे बड़ा झटका जेपी ग्रुप के संस्थापक जय प्रकाश गौड़ को लगा।
जिन्होंने जूनियर इंजीनियर के तौर पर करियर शुरु किया था और अरबों की कंपनी बना डाली।
आइए जानते हैं जेपी ग्रुप के बारे में….क्या है मामला
राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) इलाहाबाद ने आइडीबीआइ बैंक की याचिका मंजूर करते हुए जेपी इंफ्राटेक कंपनी को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया है।
बैंक ने अधिकरण में यह याचिका 52 करोड़ 61 लाख 14 हजार 627 रुपये बकाए का भुगतान न करने पर कोड की धारा-7 के तहत दाखिल की है। अधिकरण ने आदेश की प्रति उन सभी वित्तीय संस्थानों जिन्होंने इस कंपनी में निवेश/ऋण दिया है, को भेजने का निर्देश दिया है।
जेपी ग्रुप इस समय पूरी तरह से कर्ज में डूबा है। अभी तो जेपी इंफ्राटेक पर संकट मंडराया है। यही हाल रहा तो पूरा ग्रुप कभी भी दिवालिया हो सकता है।
ऐसी हुई थी जेपी ग्रुप की शुरुआत
जेपी ग्रुप की नींव जय प्रकाश गौड़ ने रखी थी। साल 1950 में रुड़की यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद जय प्रकाश ने यूपी सरकार में जूनियर इंजीनियरिंग की नौकरी शुरु कर दी।
इसके बाद वह सिविल कांट्रैक्टर के तौर पर काम करने लगे। बस यहीं से उनके मन में बिजनेस का ख्याल आया और करीब दो दशक बाद 1987 में उन्होंने जेपी एसोसिएट के नाम से सिविल इंजीनियरिंग और कंस्ट्रक्शन कंपनी के साथ जेपी ग्रुप की शुरुआत की।
साल 1992 में पावर सेक्टर में इंट्री
जेपी का कंस्ट्रक्शन कंपनी का बिजनेस काफी फल-फूल रहा था। उन्होंने इसे और विस्तार देने की सोची। साल 1992 में जेपी ने जयप्रकाश हाइड्रो पॉवर लिमिटेड के नाम से पॉवर सेक्टर में प्रवेश किया।
वह देश के सबसे बड़े हाइड्रो पॉवर प्रोड्यूसर बन गए। टिहरी डैम और सरदार सरोवर डैम बनाने में कंपनी की अहम भूमिका रही।
फॉर्मूला वन रेस ट्रैक बनाया
2000 से लेकर 2010 तक जेपी ग्रुप ने देश में काफी नाम कमा लिया था। बाद में जय प्रकाश ने रियल एस्टेट कंपनी का गठन किया और कई प्रोजेक्ट तैयार किए।
2011 में कंपनी ने बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट तैयार किया। इस ट्रैक पर फॉर्मूला वन रेस कराने के बाद कंपनी की पहचान पूरी दुनिया में हो गई। इसके ठीक एक साल बाद 2012 में कंपनी ने यमुना एक्सप्रेस-वे का प्रोजेक्ट तैयार कर एक और बड़ी उपलब्धि अपने नाम कर ली।
जय प्रकाश के रिटायरमेंट के बाद गिरी कंपनी
जेपी समूह को इतनी ऊंचाई पर पहुंचाने का श्रेय जयप्रकाश को जाता है। लेकिन 2010 में जब वो रिटायर हो गए तो कंपनी की कमान उनके बेटे मनोज गौड़ को सौंप दी गई। लगभग दो साल तक सबकुछ ठीक-ठाक रहा।
लेकिन इकोनॉमिक स्लोडाउन और रियल एस्टेट मार्केट में मंदी के कारण जेपी ग्रुप का फॉल डाउन शुरु होने लगा। एक समय कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या 90 हजार तक पहुंच गई थी। अब यह घटकर सिर्फ 30 हजार रह गई।
संपत्ति और एसेट भी बिक गए
कंपनी पर लगातार कर्ज बढ़ता जा रहा है। हालत यह है कि कंपनी ने कई एसेट भी बेच दिए हैं। वहीं 9700 करोड़ रुपये के दो हाइड्रो पॉवर भी कंपनी को बेचने पड़े। इसके अलावा गुजरात सीमेंट प्लांट भी बिक गया।
साथ ही मध्य प्रदेश के दो सीमेंट प्लांट भी अल्ट्राटेक सीमेंट को 5,400 करोड़ में बेच दिए। कंपनी ने अपना कर्ज कम करने के लिए हाल ही में एक्सिस बैंक को 2200 एकड़ में फैले अपने हेडक्वॉर्टर को खरीदने के लिए कहा है।
आशियाने पर संकट से गुस्साए लोगों ने जेपी बिल्डर्स के खिलाफ किया प्रदर्शन
जेपी बिल्डर के दिवालिया घोषित होने की ख़बर के बाद जेपी विशटाउन के बाहर लोग इकट्ठा होकर प्रदर्शन कर रहे हैं. लोगों ने पीएम मोदी और सीएम योगी से फ्लैट दिलाने की मांग की है. वहीं लोगों ने जेपी के खिलाफ नारेबाजी की. इसके साथ ही नोएडा ऑथोरिटी के खिलाफ भी जमकर नारेबाजी की.
नोएडा अथॉरिटी ने दिलाया भरोसा
इस बीच नोएडा अथॉरिटी के सीईओ ने मदद का भरोसा देते हुए लोगों से कहा है कि घबराने की जरूरत नहीं है. नोएडा सीईओ अमित मोहन प्रसाद ने कहा कि वह जल्द ही एक प्लान लाएंगे. जिससे जेपी के 32,000 होम बायर्स के हितों की रक्षा हो सके.
उन्होंने कहा, ‘हम निवेशकों के कठिन परिक्षम से कमाए गए धन को डूबने नहीं देंगे. नियमों का उल्लंघन किया गया तो हम डिवेलपर के खिलाफ कठोर कार्रवाई करेंगे.’
2020 तक फ्लैट देने का किया था वादा
जेपी ने इस साल अप्रैल में मेगा हाउसिंग प्रॉजेक्ट के सभी बायर्स को 2020 तक फ्लैट देने का वादा किया था. अभी तक केवल 6,500 लोगों को फ्लैट मिल पाया है. विश टाउन में 32,000 फ्लैट हैं.
बता दें कि नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल एनसीएलटी ने आईडीबीआई बैंक द्वारा कर्ज में डूबी जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ ऋण शोधन याचिका (इंसॉल्वेंसी पेटीशन) दायर की थी.
जेपी इंफ्राटेक ने नियामकीय सूचना में कहा कि एनसीएलटी की इलाहाबाद पीठ ने दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता 2016 की धारा सात के तहत आईडीबीआई बैंक की याचिका स्वीकार की गई और दिवालिया घोषित किया गया.
जेपी इंफ्राटेक के घर खरीदारों को दावा ठोकने के लिए 24 अगस्त तक का समय
दिवालिया होने की कगार पर पहुंची जेपी इंफ्राटेक की आवासीय परियोजनाओं में पैसा लगाने वालो को 24 अगस्त तक अपना दावा ठोकना होगा. ये आवासीय परियोजनाएं मुख्य रुप से दिल्ली से सटे नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे के दोनों ओर स्थित हैं.
संसद से मंजूर हुए नए दिवालिया कानून के तहत जेपी इंफ्रा समेत 12 कंपनियों के दिवालिया होने का खतरा है. वहीं जेपी के प्रोजेक्ट्स में फंसे घर खरीदारों के लिए ये समय बेहद मुश्किल है.
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल यानी एनसीएलटी ने जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ दिवालिया समाधान प्रक्रिया शुरु करने का निर्देश दिया है. इसी फैसले के तहत बैंकों, कर्मचारियों और घर खऱीदने वाले समेत सभी पक्षों को अपना दावा पेश करना का मौका मिलेगा.
दावों के लिए विभिन्न पक्षों के लिए अलग-अलग फॉर्म है
दावों के लिए विभिन्न पक्षों के लिए अलग-अलग फॉर्म है. मसलन घर खरीदने वालों को फॉर्म बी भरना होगा, जबकि बैकों और वित्तीय संस्थाओं को फॉर्म सी और कर्मचारियों को फॉर्म डी भरना है.
ये सभी फॉर्म www.ibbi.gov.in वेबसाइट से डाउनलोड किए जा सकते हैं. बैंक व वित्तीय संस्थाओं को केवल इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ही फॉर्म भरने का विकल्प है जबकि बाकी सभी व्यक्तिगत तौर पर, डाक के द्वारा या फिर इलेक्ट्रॉनिक तरीके से दावा पेश कर सकते हैं.
इलेक्ट्रॉनिक तरीके से फॉर्म भेजने के लिए आप ईमेल आईडी [email protected] का इस्तेमाल कर सकते हैं जबकि व्यक्तिगत तौर पर या डाक से भजने का पता कुछ इस प्रकार है:
ANUJ JAIN
INTERIM RESOLUTION PROFESSIONAL FOR JAYPEE INFRATECH LIMITED
C/o BSRR & Co. Cgartered Accountants
Tower B, DLF Cyber City
Phase II
Gurugram – 122002 (Haryana)
दिवालिया कानून के तहत कार्यवाही की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए एक प्रोफेशनल की नियुक्ति की गयी है जबकि कंपनी के निदेशक बोर्ड को निलंबित कर दिया गया है.
ये प्रोफेशनल, कंपनी प्रबंधन और बैंकों के साथ मिलकर कंपनी की वित्तीय स्थिति सुधारने और कर्ज चुकाने का रास्ता ढ़ुंढ़ने की कोशिश करेगा जिसमें शुरुआती तौर पर छह महीने का समय मिलेगा जिसे बाद में तीन महीने के लिए और बढ़ाया जा सकता है.
इसके बाद भी अगर कंपनी की माली हालत नही सुधरी और कर्ज चुकाने का रास्ता नहीं निकला तो बैंक उसकी संपत्ति बेचने का काम शुरु कर सकते है.
ट्रिब्यूनल की इलाहाबाद बेंच के आदेश के मुताबिक, 526.11 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है. चूंकि ये रुपये ज्यादा है.इसीलिए आईडीबीआई बैंक ने बेंच के सामने दिवालियापन कानून के तहत कार्यवाही शुरु करने का प्रस्ताव किया.
पहले जेपी समूह ने इस प्रस्ताव पर अपनी आफत्ति जतायी थी, लेकिन 4 अगस्त को उसने अपनी आपत्ति वापस ले ली. आपत्ति वापस लेने के पीछे कंपनी ने साफ किया कि वो तमाम बैंकों और उसकी परियोजनाओं में घर खरीदने वालों के हितों को देखते हुए ही उसने ये कदम उठाया. इसी के बाद इलाहाबाद बेंच ने अपना फैसला सुना दिया.
फैसला 9 अगस्त से प्रभावी माना जाएगा. अब अगर इसमें ज्यादा से ज्यादा नौ महीने का समय जोड़ दे तो अप्रैल तक वित्तीय स्थिति सुधारने का समय है जिसके बाद संपत्तियो की नीलामी शुरु हो सकती है.