गुंटूर,74 वर्षीया मंगयम्मा बच्चे को जन्म देने वाली दुनिया की अभी तक की सबसे बुजुर्ग महिला हैं। लेकिन डॉक्टरों द्वारा इसे सरोगेसी बिल का उल्लंघन बताया जा रहा है। दरअसल, आंध्र प्रदेश के गुंटूर कस्बे में 74 साल की उम्र में जुड़वां बच्चियों की मां बन मंगयम्मा ने रिकॉर्ड कायम कर दिया। खुशी के आंसुओं के साथ उन्होंने अपने पुराने दिनों में झेले गए दुख का साझा किया जो उन्हें नि:संतान होने के कारण झेलना पड़ा। लोगों द्वारा दिए गए तानों का जिक्र कर उन्होंने बताया कि नि:संतान होना हमारे देश में कितना बड़ा कलंक होता है। उन्होंने बताया, ‘इतने सालों तक उस गलती की सजा मिली जो मेरी नहीं थी। वह भी केवल इसलिए क्योंकि मैं मां नहीं बन सकती थी।’
डॉक्टरों ने बताया, सरोगेसी बिल का उल्लंघन
हालांकि डॉक्टरों द्वारा इस तरह के मामले पर चिंता जताई गई है। सरोगेसी बिल का हवाला देते हुए डॉक्टरों ने कहा, ‘इस तरह के मामलों को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। 74 वर्षीय महिला का मां बनना जायज नहीं, यह निंदनीय है।’ इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉक्टर रत्ना ने कहा, ‘बिल के मसौदों में महिलाओं के लिए 45 वर्ष व पुरुषों के लिए 50 वर्ष की अधिकतम उम्र निर्धारित की गई है। गुंटूर में डॉक्टरों ने इसका उल्लंघन किया है। बच्चे की देखभाल वैसी महिला क्या कर पाएगी जो 74 वर्ष की बुजुर्ग है।’बता दें कि यह गाइडलाइन इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा तय की गई है।
घूरती थीं लोगों की नजरें, पुकारते थे ‘बांझ’
मंगयम्मा ने बताया, ‘लोगों की नजरें मुझे ऐसे घूरती थी जैसे मैंने कोई पाप किया हो। पड़ोसी मुझे ‘गोदरालु (बांझ)’ कहा करते थे। हालांकि मेरे पति ने मेरा साथ कभी नहीं छोड़ा।’ समाज की ओर से धिक्कारे जाने के कारण दंपति ने संतान के लिए हर विकल्प आजमाए लेकिन हर तरफ निराशा ही मिली।
हाल में ही जब उनके पड़ोसी ने कृत्रिम गर्भाधान (आइवीएफ) के जरिए 55 साल की उम्र में बच्चे को जन्म दिया तब मंगयम्मा दंपति को भी आस जगी। इस क्रम में उन्होंने पिछले साल नवंबर में गुंटूर में डॉक्टर अरुणा से संपर्क किया जो पहले चंद्रबाबू कैबिनेट में स्वास्थ्य मंत्री रह चुकी हैं। इसके बाद आइवीएफ का रास्ता अपनाया और गुरुवार को गुंटूर के अहल्या नर्सिग होम में जुड़वां बच्चियों को जन्म दिया। चार डॉक्टरों की टीम ने सिजेरियन आपरेशन से प्रसव कराया। डॉक्टरों की टीम का नेतृत्व करने वाले एस. उमाशंकर ने कहा कि मां और बच्चे बेहतर स्थिति में हैं। सर्जरी के बाद डॉक्टर ने कहा कि यह चिकित्सकीय चमत्कार है।
पूरे नौ माह रहीं अस्पताल में भर्ती
इस प्रक्रिया के जरिए मंगायम्मा जनवरी में गर्भवती हुईं। उनकी उम्र को देखते हुए उन्हें पूरे 9 माह अस्पताल में ही रखा गया। इस दौरान डॉक्टरों ने उनकी पूरी देखभाल की। डॉ अरुणा ने बताया, ‘उन्हें डायबीटिज या ब्लड प्रेशर जैसी कोई बीमारी नहीं है इसलिए वे स्वस्थ रहीं। चूंकि वे 74 वर्ष की हैं इसलिए हमने सर्जरी कर बच्चे की डिलीवरी कराई।’
बच्चों को जन्म देने वाली दुनिया की सबसे बुजुर्ग महिला
डॉक्टर उमाशंकर ने दावा किया कि मंगयम्मा बच्चों को जन्म देने वाली दुनिया की सबसे बुजुर्ग महिला हो गई हैं। इससे पहले 70 वर्षीया दलजीत कौर को दुनिया की सबसे बुजुर्ग महिला मान जा रहा था। हरियाणा की रहने वाली कौर ने भी आइवीएफ प्रक्रिया से 2017 में बच्चे को जन्म दिया था।
शादी के बाद 54 वर्ष तक सालता रहा नि:संतान होने का दुख
पूर्वी गोदावरी जिले में नेलापाटिपाडु की रहने वाली मंगयम्मा शादी के 54 वर्ष बाद तक नि:संतान रही। पिछले वर्ष अपने पति वाई राजा राव के साथ उन्होंने नर्सिग होम में आइवीएफ विशेषज्ञ से संपर्क किया था। विशेषज्ञों ने उनकी मदद करने का फैसला लिया। बच्चों को जन्म देने के बाद मांगयम्मा ने कहा कि वह बहुत खुश हैं। भगवान ने उनकी प्रार्थना सुन ली। उनके पति और परिवार के लोगों ने मिठाइयां बांट कर खुशियां मनाई।
इस तरह के कई उदाहरण भारत समेत दुनिया के अन्य देशों में भी हैं। पिछले साल सितंबर माह में राजस्थान में अपना अकेलापन दूर करने के लिए 62 साल की महिला मधु ने आइवीएफ के जरिए एक बच्चे को जन्म दिया। दरअसल, दो साल पहले उनका पूरा परिवार सड़क हादसे का शिकार हो गया जिसके शोक से वो निकल नहीं पा रहीं थीं तभी उनके पति ने आइवीएफ के जरिए बच्चे को जन्म देने का फैसला किया।
वर्ष 2009 में गुंटूर जिले में ऐसा मामला देखने को मिला था। 56 वर्ष की महिला एस कोटम्मा ने एस अरुणा के बेटे सेनाक्कायाला उमाशंकर से संपर्क किया और गुंटूर में स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। वर्ष 2016 में पंजाब की 70 साल की दलजिंदर कौर ने बच्चे को जन्म दिया। हरियाणा के एक फर्टिलीटी क्लिनिक में दो साल तक उनका इलाज किया गया था।
कुपोषण से बचने के लिए मध्य प्रदेश के लोग कोदो,कुटकी और मक्का का कर रहे हैं सेवन