नई दिल्ली। लोगों को यात्रा कराए बगैर ही रेलवे उनसे मोटी कमाई कर रहा है। यह कमाई स्लीपर और थर्ड एसी में यात्रा के इच्छुक लोगों से की जा रही है। ये वो लोग हैं जो वेटलिस्टेड टिकट बुक कराने के बाद कंफर्म होने की उम्मीद में आखिरी मिनट तक उसे कैंसिल नहीं कराते और चूक जाते हैं। इतना ही नहीं, रेलवे के लिए वे यात्री और ज्यादा फायदेमंद हैं जिन्हें किसी न किसी कारण वश अपनी कंफर्म टिकट को भी कैंसिल कराना पड़ जाता है। दोनो स्थितियों में रेलवे की पौ बारह है।
एक बार टिकट बुक हो गई इसके बाद यात्री यात्रा करे या न करे, रेलवे को कोई नुकसान नहीं होता। बल्कि फायदे की संभावना ज्यादा है। टिकट लेने के बाद यात्री यात्रा करे तो रेलवे को थोड़ी कमाई होगी। लेकिन यदि यात्री कंफर्म टिकट को कैंसिल करा दे अथवा उसे वेटलिस्टेड टिकट को कैंसिल कराने का मौका ही न मिले तो रेलवे ज्यादा फायदा होगा। यानी आम के आम गुठलियों के दाम।
एक आरटीआइ कार्यकर्ता के सवालों के जवाब में रेलवे के ‘सेंटर फॉर रेलवे इंफारमेशन सिस्टम्स’ (क्रिस) ने बताया है कि एक जनवरी, 2017 से 31 जनवरी, 2020 के तीन वर्षों की अवधि में रेलवे ने टिकट कैंसिल नहीं करा पाने वाले साढ़े नौ करोड़ से अधिक यात्रियों से 4335 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम जुटाई है। ये ऐसी रकम है जिसके बदले में रेलवे ने ना तो कोई वास्तविक सेवा प्रदान की और ना ही किसी तरह का खर्च किया। इन यात्रियों की बस इतनी गलती थी कि उन्होंने कंफर्म होने की उम्मीद में टिकट खरीद लिया था परंतु वो आखिरी समय तक वेटलिस्टेड ही बना रहा।
इन लोगों को या तो टिकट कैंसिल कराने का समय नहीं मिला अथवा मिला भी तो शुल्क इतना अधिक था कि कैंसिल कराने की हिम्मत ही नहीं हुई। दरअसल, पिछले 10-12 वर्षों में रेलवे ने कैंसिलेशन नियमों को इतना सख्त और महंगा बना दिया है कि टिकट कंफर्म नहीं होने पर अधिकांश लोग उसे कैंसिल कराने के बजाय दूसरी तिथि या ट्रेन में बुकिंग करना अथवा बस या विमान का विकल्प चुनना पसंद करते हैं। लोगों की यही मजबूरी रेलवे के लिए वरदान साबित हो रही है।
इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पहली जनवरी, 2017 से 31 जनवरी, 2020 की तीन वर्ष की अवधि में रेलवे को अकेले कैंसिलेशन चार्ज या निरस्तीकरण शुल्क के तौर पर 4684 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल हुआ। उपरोक्त दोनों तरह के ग्राहकों (टिकट लेकर उसे रद नहीं कराने वाले तथा टिकट कंफर्म होने के बाद रद कराने वाले) से रेलवे को संयुक्त रूप से कुल 9019 करोड़ रुपये की आमदनी हुई है।