लालू चारा घोटाले के एक और मामले में दोषी करार

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शनिवार को रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने देवघर कोषागार निकासी मामले में लालू यादव को दोषी ठहरा दिया है। इस मामले में सजा का ऐलान बाद में किया जाएगा। चाइबासा मामले में उन्हें पहले ही सजा हो चुकी है।

वर्ष 1996 में सामने आए इस घोटाले की वजह से ही लालू यादव का बिहार की राजनीति में कद कम हुआ था और उन्हें अपना सीएम पद तक छोड़ना पड़ा था। हालांकि उन्होंने जबरदस्त सियासी दांव खेलते हुए इस पद से इस्तीफा देने के बाद अपनी पत्नी राबड़ी देवी को कुर्सी पर बिठा दिया था।

दिसंबर 2013 में कोर्ट से मिल गई थी जमानत

इस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने उन्हें दोषी करार देते हुए 3 अक्टूबर 2013 को पांच साल के कारावास की सजा सुनाई, साथ ही उन पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। दिसंबर 2013 में उन्हें कोर्ट से जमानत भी मिल गई थी, जिसके बाद उन्हें रांची की बिरसा मुंडा जेल से रिहा कर दिया गया।

सजा पाने के बाद संसद से अयोग्य ठहराए जाने वाले वह देश के पहले राजनेता हैं। इतना ही नहीं इस घोटाले की वजह से ही उनके करीब 11 वर्षों तक किसी भी तरह के चुनाव में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

जेडीयू नेता जगदीश शर्मा को भी ठहराया दोषी

कोर्ट ने इस मामले में जेडीयू नेता जगदीश शर्मा को भी दोषी ठहराया था। चारा घोटाले ने बिहार की राजनीति में भूचाल लाकर रख दिया था और राज्य की अर्थव्यवस्था को भी बेपटरी कर दिया था।

बिहार पुलिस ने 1994 में राज्य के गुमला, रांची, देवघर, पटना, डोरंडा और लोहरदगा जैसे कई कोषागारों से फर्जी बिलों के जरिये करोड़ों रुपये की कथित अवैध निकासी के मामले दर्ज किए. रातों-रात सरकारी कोषागार और पशुपालन विभाग के कई कर्मचारी गिरफ्तार किए गए थे।

इसके अलावा कई ठेकेदारों और सप्लायरों को हिरासत में लिया गया। पूरे राज्य में दर्जन भर आपराधिक मुकदमे दर्ज किए गए थे। लेकिन 1996 में इस घोटाले का पूरा खुलासा हुआ और इसमें बिहार की राजनीति के बड़े-बड़े दिग्गज लपेटे में आ गए।

यह बिहार में सबसे बड़ा घोटाला था, जिसमें पशुओं को खिलाए जाने वाले चारे के नाम पर 950 करोड़ रुपये की निकासी सरकारी खजाने से फर्जीवाड़ा करके की गई थी।

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