देश की स्पेस एजेंसी इसरो ने फिर से रच डाला इतिहास

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सितंबर के पहले सप्ताह में चांद पर उतरेगा रोवर प्रज्ञान

नई दिल्ली: भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने चंद्रयान-2 की सफल लॉन्चिंग के साथ ही नया इतिहास रच दिया है। लॉन्चिंग के बाद अब इसे चांद की सतह पर उतारने के सबसे बड़े मिशन की भी शुरुआत हो गई है। चंद्रयान-2 श्रीहरिकोटा के प्रक्षेपण स्थल से चांद तक के 3 लाख 84 हजार किलोमीटर के सफर पर निकल चुका है। चंद्रयान सिर्फ 16 मिनट बाद पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हो गया।

इसरो चीफ के. सिवन ने चंद्रयान की सफल लॉन्चिंग की घोषणा करते हुए कहा कि इस मिशन की सोच से बेहतर शुरुआत हुई है। इसरो की इस शानदार कामयाबी पर पीएम नरेंद्र मोदी ने बधाई दी है। आपको बता दें कि करीब 50 दिन बाद 6 से 8 सितंबर के बीच चांद पर भारत का चंद्रयान उतरेगा।

16 दिनों तक पृथ्वी की कक्षा में रहेगा

चंद्रयान-2 को भारत के सबसे शक्तिशाली रॉकेट GSLV MK-3 से लॉन्च किया गया है। लॉन्चिंग के बाद चंद्रयान पृथ्वी की कक्षा में पहुंच चुका है। 16 दिनों तक यह पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए चांद की तरफ बढ़ेगा। इस दौरान चंद्रयान की अधिकतम गति 10 किलोमीटर/प्रति सेकंड और न्यूनतम गति 3 किलोमीटर/प्रति सेकंड होगी।

21 दिनों बाद चांद की कक्षा में पहुंचेगा

16 दिनों बाद चंद्रयान पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलेगा। इस दौरान चंद्रयान-2 से रॉकेट अलग हो जाएगा। 5 दिनों बाद चंद्रयान-2 चांद की कक्षा में पहुंचेगा। इस दौरान उसकी गति 10 किलोमीटर प्रति सेकंड और 4 किलोमीटर प्रति सेकंड रहेगी। इसके बाद लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

चांद की सतह को छूने से पहले क्या होगा?

धरती और चंद्रमा के बीच की दूरी लगभग 3 लाख 84 हजार किलोमीटर है। लॉन्चिंग के बाद चंद्रमा के लिए लंबी यात्रा शुरू होगी। चंद्रयान-2 में लैंडर-विक्रम और रोवर-प्रज्ञान चंद्रमा तक जाएंगे। चांद की सतह पर उतरने के 4 दिन पहले ‘विक्रम’ उतरने वाली जगह का मुआयना करना शुरू करेगा। लैंडर यान से डिबूस्ट होगा।

‘विक्रम’ सतह के और नजदीक पहुंचेगा। उतरने वाली जगह को स्कैन करना शुरू करेगा और फिर शुरू होगी लैंडिंग की प्रक्रिया। लैंडिंग के बाद लैंडर (विक्रम) का दरवाजा खुलेगा और वह रोवर (प्रज्ञान) को रिलीज करेगा। रोवर के निकलने में करीब 4 घंटे का समय लगेगा। फिर यह वैज्ञानिक परीक्षणों के लिए चांद की सतह पर निकल जाएगा। इसके 15 मिनट के अंदर ही इसरो को लैंडिंग की तस्वीरें मिलनी शुरू हो जाएंगी।

इसरो चीफ सिवन बोले-कड़ी मेहनत से मिली सफलता

चंद्रयान-2 की सफल लॉन्चिंग के बाद सिवन ने कहा, ‘वैज्ञानिकों और टीम इसरो की कड़ी मेहनत से यह सफलता मिली है।’ उन्होंने कहा कि 15 जुलाई को मिशन में तकनीकी दिक्कत के बाद टीम इसरो ने इसे तुरंत दूर करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। उन्होंने कहा, ‘टीम इसरो ने घर-परिवार की चिंता छोड़ लगातार 7 दिन तक इस दिक्कत को दूर करने के लिए सबकुछ झोंक दिया। यह कड़ी मेहनत का फल है। मैं सभी को बधाई देता हूं।’

पीएम मोदी ने दी बधाई

पीएम मोदी ने इस ऐतिहासिक पल के लिए इसरो को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 की सफल लॉन्चिंग हमारे वैज्ञानिकों की ताकत को दर्शाता है। पूरा भारत इस क्षण पर गर्व महसूस कर रहा है। राज्यसभा और लोकसभा में इसरो की इस शानदार सफलता पर बधाई दी गई। राज्यसभा के सभापति वेकैंया नायडू और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने भी इसरो को बधाई दी।

स्वदेशी तकनीक से बना है चंद्रायन-2

स्वदेशी तकनीक से निर्मित चंद्रयान-2 में कुल 13 पेलोड हैं। आठ ऑर्बिटर में, तीन पेलोड लैंडर ‘विक्रम’ और दो पेलोड रोवर ‘प्रज्ञान’ में हैं। पांच पेलोड भारत के, तीन यूरोप, दो अमेरिका और एक बुल्गारिया के हैं। लैंडर ‘विक्रम’ का नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है। दूसरी ओर, 27 किलोग्राम ‘प्रज्ञान’ का मतलब संस्कृत में ‘बुद्धिमता’ है। इसरो चंद्रयान-2 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारेगा।

‘बाहुबली’ जीएसएलवी मार्क-।।। से हुआ प्रक्षेपण

4 टन तक का भार (पेलोड) ले जाने की अपनी क्षमता के कारण ‘बाहुबली’ कहे जा रहे जीएसएलवी मार्क-।।। रॉकेट ने जीसैट-29 और जीसैट-19 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया है। अंतरिक्ष एजेंसी ने इसी रॉकेट का इस्तेमाल करते हुए क्रू मॉड्यूल वायुमंडलीय पुन: प्रवेश परीक्षण (केयर) को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था। इसरो के प्रमुख के. सिवन के मुताबिक अंतरिक्ष एजेंसी दिसंबर 2021 के लिए निर्धारित अपने मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम ‘गगनयान’ के लिए भी जीएसएलवी मार्क-।।। रॉकेट का प्रयोग करेगी।

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