राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना के तहत केंद्र सरकार पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा महात्मा गांधी जयंती यानी 2 अक्तूबर से मुहैया कराएगी। राज्यों को जुलाई तक इस योजना के तहत बीमा कंपनियों या ट्रस्ट गठित कर बीमा मुहैया कराने की जिम्मेदारी सौंपनी है।
बजट 2018-19 में घोषित योजना पर केंद्र और राज्य सरकारें 60ः40 के अनुपात में सालाना करीब 11 हजार करोड़ खर्च करेंगी। इससे 10 करोड़ गरीब परिवारों को स्वास्थ्य बीमा मुहैया होगा।
योजना में प्रीमियम पर प्रति परिवार प्रति वर्ष 1,000-1,200 रुपये के हिसाब से खर्च आने का अनुमान है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (एनएचपीएस) का खर्च केंद्र और राज्य सरकारें मिल कर वहन करेंगी।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जयप्रकाश नड्डा और नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने शुक्रवार को बीमा योजना को लागू करने संबंध में जानकारी दी। पॉल ने कहा कि एनएचपीएस पूरी तरह से लागू होने पर सालाना 10 से 11 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा। बजट में करदाताओं पर एक फीसदी अतिरिक्त अधिभार लगाया गया है। उससे प्राप्त होने वाली राशि का उपयोग इस योजना के लिए किया जाएगा।
केशलेस इलाज की सुविधा
यह बीमा आधार से लिंक होगी, लेकिन आधार नहीं होने पर भी अन्य पहचान पत्र के आधार पर बीमा मुहैया कराया जाएगा। साथ ही यह पूरी तरह से पेपरलेस और केशलेस होगा। इसे लागू करने के लिए राज्यों को बीमा कंपनियों या ट्रस्ट गठित कर बीमा मुहैया कराने का जिम्मा सौंपना है। बीमा के तहत स्वास्थ्य सेवाएं सरकारी व निजी दोनों तरह के अस्पतालों में मिलेगी।