कोलकाता। दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर ने मंगलवार को कहा कि देश की इकोनॉमी आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए संसाधन जुटाने में पूरी तरह सक्षम है लेकिन केंद्र को आगामी बजट में डिमांड बढ़ाने के लिए ”मजबूत और क्रिएटिव” कदम उठाने चाहिए। उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ी चुनौतियों को रेखांकित करते हुए कहा कि ”सभी सेक्टर्स में कमजोर डिमांड के माहौल” के कारण विभिन्न बिजनेसेज की वित्तीय सेहत पर असर पड़ रहा है।
MCCI की ओर से आयोजित एक सत्र को संबोधित करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय में अर्थव्यवस्था के प्रोफेसर आलोक पुराणिक ने कहा, ”केवल ब्याज दरों में कटौती से डिमांड नहीं बढ़ेगी।”
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कटौती की है लेकिन उससे विभिन्न सेक्टरों में डिमांड नहीं बढ़ सकी है। पुराणिक ने कहा है कि केंद्र को मध्यम वर्ग, निम्न मध्यम वर्ग और देश के किसानों की क्रय शक्ति बढ़ाने के लिए बजट में कुछ कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि हर किसान को साल में 6,000 रुपये उपलब्ध कराने वाली किसान सम्मान योजना को बेहतर तरीके से लागू करने से कई सेक्टर्स में डिमांड बढ़ाने में मदद मिलेगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को अगले वित्त वर्ष का बजट पेश करेंगी। सीतारमण का यह बजट कई मायनों में बेहद अहम है। उल्लेखनीय है कि देश की आर्थिक वृद्धि के एक दशक के निचले स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। आरबीआई ने इकोनॉमी के हालात का समय पूर्व अंदाजा लगाते हुए फरवरी, 2019 से ही रेपो रेट में कमी शुरू कर दी थी और पिछले साल केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में 1.35 फीसद की कटौती की थी। इसके अलावा रेपो रेट में कटौती का लाभ आम लोगों को मिले, इसे सुनिश्चित करने के लिए भी केंद्रीय बैंक ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए थे।