समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को भाजपा के खिलाफ गठबंधन को न सिर्फ सही फैसला ठहराया, बल्कि यह भी कहा कि क्षेत्रीय दल ही इस पार्टी का रास्ता रोक सकते हैं। वर्तमान राजनीति में क्षेत्रीय दलों की भूमिका बढ़ गई है और वह भाजपा को सत्ता से बाहर कर देंगे। एक सवाल पर उनका कहना था कि कांग्रेस से गठबंधन हो न हो, लेकिन रिश्ते हमेशा अच्छे बने रहेंगे।
अखिलेश राजधानी में प्रोग्रेसिव कौंसिल की ओर से ‘फ्यूचर ऑफ डेमोक्रेसी’ पर आयोजित एक कांफ्रेंस में बोल रहे थे। कांफ्रेंस में पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल, उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा समेत कई विद्वान शामिल हुए। अखिलेश ने कहा कि वर्तमान राजनीति में विकास के मुद्दे पीछे हो गए हैं। मैनेजमेंट हावी है जो लोकतंत्र के लिए घातक है। विकास को लोगों का भावनात्मक मुद्दा होना चाहिए। जब तक ऐसा नहीं होता, भाजपा लोगों को बहकाती रहेगी।
उन्होंने कहा कि भाजपा जानबूझकर ऐसे मुद्दे उछालती है कि लोगों का ध्यान विकास से हटे। ‘अच्छे दिन’ के नारे में विकास और खुशहाली की संभावना दिखी थी, लेकिन चार साल बीतने के बाद निराशा हुई। भाजपा कभी नहीं चाहेगी विकास मुद्दा बने। लोगों को नौकरी और रोजगार चाहिए। लोग क्या चाहते हैं, यदि यह हम न समझ पाए तो यह राजनीतिक बेईमानी है। एक सवाल के जवाब में अखिलेश ने कहा कि हम सबको साथ लेकर चलेंगे। चुनाव के बाद लीडर भी तय हो जाएगा, लेकिन अपराधियों से हमारा रिश्ता नहीं हो सकता।
विकास के मूल मुद्दों से ध्यान बंटा
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने लोकतंत्र में विरोधाभासों को सामने रखा। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व के एजेंडे ने भारी नुकसान किया है और विकास के मूल मुद्दों से ध्यान बंटा है। प्रजातंत्र को कार की उपमा देते हुए उन्होंने कहा कि इसके चारो पहिए तो हैैं और लोगों ने ड्राइवर भी चुना। लेकिन, अब ऐसा महसूस हो रहा है बिना ड्राइवर के ही कार चल रही है। सिब्बल ने कहा कि हमारी चुनौती देश को सृजनात्मक एजेंडा देने की है। चीन के पास हमसे कम जमीन है लेकिन उत्पादन ढाई गुना अधिक है।
मानव संसाधन में तकनीकी क्षमता बढ़ाने पर ध्यान देना होगा। उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने लोकतंत्र के भविष्य को शिक्षा से जोड़ते हुए कहा एक साल के भीतर किए गए कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि शिक्षा के कई अनावश्यक चीजें खत्म हुई हैैं। कांफ्रेस में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. राजन हर्षे, पूर्व सांसद डॉ. उदय प्रताप सिंह आदि कई विद्वानों ने विचार रखे। पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्र ने अतिथियों का स्वागत किया।