नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 2002 गुजरात दंगों के दौरान राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को एसआइटी द्वारा दी गई क्लीन चीट के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई को टाल दिया है। मामले की अगली सुनवाई 14 अप्रैल को होगी। सु्प्रीम कोर्ट ने इस दौरान कहा कि मामले की सुनवाई को कई बार स्थगित किया गया है, ऐसा कबतक होगा। इसपर किसी दिन तो सुनवाई करनी ही होगी। यह याचिका जाकिया जाफरी द्वारा दायर की गई है। जाकिया दंगों में मारे गए कांग्रेस के पूर्व सांसद अहसान जाफरी की पत्नी हैं।
जस्टिस ए एम खानविलकर और दिनेश महेश्वरी की पीठ ने मामले को अप्रैल तक सुनवाई टाल दिया, जब जाकिया के वकील ने स्थगन की मांग की और अदालत से होली की छुट्टी के बाद इसपर सुनवाई करने का आग्रह किया। इसी के बाद कोर्ट ने यह टिपण्णी की।
जाकिया ने 2018 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी
जाकिया ने 2018 में सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की थी। इसमें गुजरात हाई कोर्ट के 5 अक्टूबर, 2017 के आदेश को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने विशेष जांच दल के फैसले के खिलाफ उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया था। उनके वकील ने पहले सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि याचिका में एक नोटिस जारी करने की आवश्यकता है, क्योंकि यह 27 फरवरी, 2002 से मई 2002 तक एक कथित ‘बड़ी साजिश’ से संबंधित है।
अहसान जाफरी गुलबर्ग सोसाइटी में मारे गए 68 लोगों में शामिल थे
बता दें कि एहसान जाफरी 28 फरवरी, 2002 को गुलबर्ग सोसाइटी में मारे गए 68 लोगों में शामिल थे, साबरमती एक्सप्रेस के एस -6 कोच के गोधरा में जलने से 59 लोगों की मौत हो गई थी और गुजरात में दंगे भड़के थे।
8 फरवरी, 2012 को एसआइटी ने क्लोज़र रिपोर्ट दायर की
8 फरवरी, 2012 को, एसआइटी ने मोदी और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों सहित 63 अन्य लोगों को क्लीन चिट देते हुए एक क्लोज़र रिपोर्ट दायर की, जिसमें कहा गया था कि उनके खिलाफ कोई अभियोजन साक्ष्य नहीं था।