चेन्नई। कोरोना महामारी के दौर में चुनावी रैलियों की अनुमति देने पर मद्रास हाईकोर्ट का गुस्सा सोमवार को चुनाव आयोग के खिलाफ फूट पड़ा। उसने देश में कोरोना की दूसरी लहर के लिए चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराया है। हाइकोर्ट ने कहा है कि चुनाव आयोग के खिलाफ हत्या का मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
उत्तराखंड के 684 पुलिस अधिकारी और कर्मचारी कोरोना संक्रमित
परिवहन मंत्री एमआर विजयभास्कर की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि
मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति की पहली पीठ ने राज्य के परिवहन मंत्री एमआर विजयभास्कर की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि चुनाव आयोग देश की सबसे गैर जिम्मदेार संस्था है, जिसने राजनीतिक पार्टियों को कोविड प्रोटोकाल का पालन कराने के लिए कुछ नहीं किया। आपका संस्थान कोरोना की दूसरी लहर के लिए एक मात्र तौर पर जिम्मेदार है। चुनाव आयोग के अधिकारियों पर अगर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए तो गलत नहीं होगा। हमारे पास अधिकार का प्रयोग करने की किसी भी तरह की कमी नहीं है। आपने अदालत के कहने के बावजूद रैलियों को आयोजित करने वाले राजनीतिक दलों के खिलाफ कदम नहीं उठाए।
अदालत में जब चुनाव आयोग ने जवाब दिया कि
उनकी ओर से कोरोना गाइडलाइन्स का पालन किया गया। मतदान के दिन नियमों का पालन किया गया था। इस पर अदालत नाराज हुई और पूछा कि जब प्रचार हो रहा था, तब क्या चुनाव आयोग दूसरे प्लैनेट पर था।
कोर्ट ने कहा कि स्वास्थ्य का मसला काफी अहम है, लेकिन चिंता की बात ये है कि कोर्ट को ये याद दिलाना पड़ रहा है। इस वक्त हालात ऐसे हो गए हैं कि जिंदा रहने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। मद्रास-हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर 2 मई के लिए सही प्लान नहीं बनाया गया और उसे लागू नहीं किया गया, तो वह मतगणना को रोक सकता है।
गौरतलब है कि इस समय पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। इनमें चार राज्यों में मतदान हो चुका है और केवल पश्चिम बंगाल में मतदान जारी है। पांचों राज्यों की मतगणना 2 मई को होनी है।