रिपोर्ट … page3news.co.in
देहरादून। राज्य में मातृ मृत्यु अनुपात तथा शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए सरकार द्वारा प्रमुख चिकित्सालयों में विशेषज्ञ चिकित्सकों को तैनात करने का निर्णय लिया है। इस क्रम में उत्तराखंड के 18 अतिरिक्त चिकित्सालयों को प्रथम संदर्भण इकाई के रूप में विकसित किया जायेगा। वर्तमान में राज्य के 16 चिकित्सालय प्रथम संदर्भण इकाई के रूप में कार्य कर रहे हैं।
बता दें हाल के वर्षों में राज्य की शिशु मृत्यु दर तथा मातृ मृत्यु अनुपात में अपेक्षित कमी नहीं आने के कारण यह स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए एक रूकावट का विषय बना हुआ था। यद्यपि एसआरएस सर्वे के अनुसार उत्तराखण्ड का मातृ मृत्यु अनुपात 84 अंकों की गिरावट के साथ 29 प्रतिशत घट गया है तथा इस उपलब्धि के लिए राज्य को गत दिनों राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत भी किया जा चुका है, लेकिन राज्य की शिशु मृत्यु दर बढ़ रही है।
एसआरएस सर्वें के अनुसार वर्ष 2015 यह दर 34 प्रति हजार जीवित जन्म थी जो बढ़कर 2016 में 38 प्रति हजार जीवित जन्म हो गयी है। यह सरकार के लिए एक चिन्ता का विषय बना हुआ है। मुख्यमंत्री के विजन-20-20 के अन्तर्गत शिशु मृत्यु दर को वर्ष 2020 तक 30 प्रति हजार जीवित जन्म तक लाने का लक्ष्य रखा गया है। मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को राष्ट्रीय मानकों के अनुसार लाने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के सहयोग से राज्य के 18 अतिरिक्त चिकित्सालयों पर मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सम्बन्धी सुविधाओं को विकसित करने का निर्णय लिया गया है। इस क्रम में शासन द्वारा विशेषज्ञ चिकित्सकों के तैनाती आदेश निर्गत कर दिये गये हैं। क्रियाशील बनाये गये चिकित्सालयों के अन्तर्गत जनपद देहरादून में -5, पौड़ी गढ़वाल में- 3, उत्तरकाशी में – 1, हरिद्वार में-2, चमोली में-2, रूद्रप्रयाग में-1, टिहरी में-2, अल्मोड़ा में-3, नैनीताल में-5 ऊधमसिंहनगर में-6, चम्पावत में-1, पिथौरागढ़ में-2, बागेश्वर में-1 चिकित्सालय सम्मलित हैं। प्रथम संदर्भण इकाई के गठन के बाद इन चिकित्सालयों में सिजेरियन ऑपरेशन की सुविधा उपलब्ध रहेगी।